Search Sushruta-Samhita (सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)     Susruta Samhit Home (आदि-पृष्ठ)           Site Home  (वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)

DIRECT SEARCH(unicode Sanskrit)
  

ALPHABET SEARCH
                                 अं       लृ                                    
                                                            क्ष   त्र   ज्ञ


SEARCH BY CLASS
Tantra
 


Results
Index Search for        'ठिन:'
Sutra: तत्र वातिके पारुष्यं त्वक्परिपुटनं स्तब्धमेढ्रता परुषशोफता विविधाश्च वातवेदना: पैत्तिके वर: श्वयथु: पक्वोदुम्बरसङ्काशस्तीव्रदाह: क्षिप्रपाक: पित्तवेदनाश्च, श्लैष्मिके श्वयथु: कण्डूमान्ठिन: स्निग्ध: श्लेष्मवेदनाश्च; रक्तजे कृष्णस्फोटप्रादुर्भावोऽत्यर्थमसृक्प्रवृत्ति: पित्तलिङ्गान्यत्यर्थं वरदाहौ शोषश्च याप्यश्चैव कदाचित्; सर्वजे सर्वलिङ्गदर्शनमवदरणं च शेफस: कृमिप्रादुर्भावो मरणं चेति॥
Reference:1.1.12.9.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#9.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:अग्निकर्मविधिम्
Search other sources: search this word on other online resources