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Sutra: | भवन्ति चात्र- शर्करा सिकता मेहो भस्माख्यातोऽश्मरिवैकृतम्। अश्मर्या शर्कराज्ञेया तुल्यव्यञ्जनवेदना॥ |
Reference: | 1.1.3.13.0(पूर्व>सूत्र>अध्ययनसंप्रदानीयम्>सूत्र#13.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अध्ययनसंप्रदानीयम् |
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