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'घृतेन'
Sutra:
तत्रादित एव प्रमेहिणं स्निग्धमन्यतेन तैलेन प्रियङ्ग्वादिसिद्धेन वा
घृतेन
वामयेत प्रगाढं विरेचयेच्च, विरेचनादनन्तरं सुरसादिकषायेणास्थापयेन्महौषधभद्रदारुमुस्तावापेन मधुसैन्धवयुक्तेन, दह्यमानं च न्यग्रोधादिकषायेण निस्तैलेन॥
Reference:
1.1.11.6.0(पूर्व>सूत्र>क्षारपाकविधिम्>सूत्र#6.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
क्षारपाकविधिम्
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