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Sutra: | तं भास्करावर्तमुदाहरन्ति सर्वात्मकं कष्टतमं विकारम्। दोषास्तु दुष्टात्रय एव मन्यां सम्पीडयघाटासु रुजां सुतीव्राम्॥ |
Reference: | 1.1.25.13.0(पूर्व>सूत्र>अष्टविधशस्त्रकर्मीयम्>सूत्र#13.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अष्टविधशस्त्रकर्मीयम् |
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