Index Search for 'खादेद्विपाच्य' |
Sutra: | खादेद्विपाच्य सेवेत मृद्वन्नं शकृत: क्षये। संस्कृतो यमके माषयवकोलरस: शुभ:॥ |
Reference: | 1.1.40.134.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#134.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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