Search Sushruta-Samhita
(सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)
Susruta Samhit Home
(आदि-पृष्ठ)
Site Home
(वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)
DIRECT SEARCH
(unicode Sanskrit)
ALPHABET SEARCH
ॐ
अ
आ
इ
ई
 
उ
ऊ
ए
ऐ
ओ
औ
अं
ऋ
लृ
क
ख
ग
घ
च
छ
ज
झ
ट
ठ
ड
ढ
ण
त
थ
द
ध
न
प
फ
ब
भ
म
य
र
ल
व
श
ष
स
ह
क्ष
त्र
ज्ञ
SEARCH BY CLASS
Tantra
पूर्वतंत्र
उत्तरतंत्र
Results
Index Search for
'खलु'
Sutra:
मातुस्तु
खलु
रसवहायां नाड्यां गर्भनाभिनाडी प्रतिबद्धा, साऽस्य मातुराहाररसवीर्यमभिवहति। तेनोपस्नेहेनास्याभिवृद्धिर्भवति। असञ्जाताङ्गप्रत्यङ्गप्रविभागमानिषेकात् प्रभृति सर्वशरीरावयवानुसारिणीनां रसवहानां तिर्यग्गतानां धमनीनामुपस्नेहो जीवयति॥
Reference:
1.1.3.31.0(पूर्व>सूत्र>अध्ययनसंप्रदानीयम्>सूत्र#31.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
अध्ययनसंप्रदानीयम्
Search other sources:
search this word on other online resources