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'खलु'
Sutra:
अतः परं पञ्चधा विभज्यन्ते। तत्र वातस्य वातव्याधौ वक्ष्यामः; पित्तस्य यकृतप्लीहानौ हृदयं दृष्टिस्त्वक् पूर्वोक्तं च; श्लेष्मणस्तूरः शिरः कण्ठो जिह्वामूलं सन्धय इति पूर्वोक्तं च; एतानि
खलु
दोषाणां स्थानान्यव्यापन्नानाम्।
Reference:
1.1.21.7.0(पूर्व>सूत्र>व्रणप्रश्नम्>सूत्र#7.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
व्रणप्रश्नम्
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