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Sutra: तत्र वातेनारुणाभानि तनूनि विसर्पीणि तोदभेदस्वापयुक्तान्यरुणानि। पित्तेन पक्वोदुम्बरफलाकृतिवर्णान्यौदुम्बराणि, ऋष्य(क्ष)जिह्वाप्रकाशानिखराणि ऋष्य(क्ष)जिह्वानि, कृष्णकपालिकाप्रकाशानि कपालकुष्ठानि, काकणन्तिकाफलसदृशान्यतीव रक्तकृष्णानि काकणकानि; तेषां चतुर्णामप्योषचोषपरिदाहधूमायनानि क्षिप्रोत्थानप्रपाकभेदित्वानि क्रिमिजन्म च सामान्यानि लिङ्गानि। श्लेष्मणा पुण्डरीकपत्रप्रकाशानि पौण्डरीकाणि, अतसीपुष्पवर्णानि ताम्राणि वा विसर्पीणि पिडकावन्ति च दद्रुकुष्ठानि। तयोर्द्वयोरप्युत्सन्नता परिमण्डलता कण्डूश्च
Reference:1.1.5.8.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#8.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:अग्रोपहरणीयम्
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