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Index Search for        'ऊर्ध्वमुदरोरसोर्मर्माणि'
Sutra: अतऊर्ध्वमुदरोरसोर्मर्माणि व्याख्यास्यामः- तत्र वातवर्चोनिरसनं स्थूलान्त्रप्रतिवद्धं गुदं नाम मर्म, तत्र सद्योमरणं; अल्पमांसशोणितोऽभ्यन्तरतः क्ट्यां मुत्राशयो बस्तिर्नाम, तत्रापि सद्योमरंअमश्मरीव्रणादृते, तत्राप्युभयतो भिन्ने न जावति, एकतो भिन्ने मूत्रस्रावी व्रणो भवति, स तु यत्नेनोपक्रान्तो रोहति; पक्वामाशययोर्मध्ये सिराप्रभावा नाभिर्नाम, तत्रापि सद्यो मरणं; स्तनयोर्मध्यमधिष्ठायोरस्यामाशयद्वारं सत्त्वरजस्तमसामधिष्ठानं हृदयं नाम, तत्रापि सद्य एव मरणं; स्तनयोरधस्ताद् द्व्यङ्गुलमुभयतः स्तनमूले, तत
Reference:1.1.6.26.0(पूर्व>सूत्र>ऋतुचर्यम्>सूत्र#26.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:ऋतुचर्यम्
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