Index Search for 'ऊर्ध्वमितरथादग्धलक्षणं' |
Sutra: | अतऊर्ध्वमितरथादग्धलक्षणं वक्ष्यामः। तत्र स्निग्धं रूक्षं वाऽऽ(चा)श्रित्य द्रव्यमग्निर्दहति; अग्निसंतप्तो हि स्नेहः सूक्ष्म सिरानिसारित्वात्त्वगादीननुप्रविश्याशु दहति; तस्मात् स्नेहदग्धेऽधिका रुजो भवन्ति॥ |
Reference: | 1.1.12.15.0(पूर्व>सूत्र>अग्निकर्मविधिम्>सूत्र#15.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्निकर्मविधिम् |
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