Search Sushruta-Samhita (सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)     Susruta Samhit Home (आदि-पृष्ठ)           Site Home  (वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)

DIRECT SEARCH(unicode Sanskrit)
  

ALPHABET SEARCH
                                 अं       लृ                                    
                                                            क्ष   त्र   ज्ञ


SEARCH BY CLASS
Tantra
 


Results
Index Search for        'ऊर्ध्वबाहुशिरःपादो'
Sutra: ततः कीलः प्रतिखुरो बीजकः परिघ इति। तत्रऊर्ध्वबाहुशिरःपादो यो योनिमुखं निरुणद्धि कील इव स कीलः, निःसृतहस्तपादशिराः कायसङ्गी प्रतिखुरः; यो निर्गच्छत्येकशिरोभुजः स बीजकः; यस्तु परिघ इव योनिमुखमावृत्य तिष्ठेत् स परिघ इति चतुर्विधो भवतीत्येके भाषन्ते; तत्तु न सम्यक्, कस्मात्? स यदा विगुणानिलप्रपीडितोऽपत्यमनेकधा प्रपद्यते तदा सङ्ख्या हीयते॥
Reference:1.1.8.4.0(पूर्व>सूत्र>शस्त्रावचारणीयम्>सूत्र#4.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:शस्त्रावचारणीयम्
Search other sources: search this word on other online resources