Index Search for 'उष्णाश्रुपातः' |
Sutra: | उष्णाश्रुपातः पिडका च कृष्णे यस्मिन् भवेन्मुद्गनिभं च शुक्रम्। तदप्यसाध्यं प्रवदन्ति केचिदन्यच्च यत्तित्तिरिपक्षतुल्यम्॥ |
Reference: | 1.1.5.7.0(पूर्व>सूत्र>अग्रोपहरणीयम्>सूत्र#7.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अग्रोपहरणीयम् |
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