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Index Search for        'उष्णस्निग्धौ'
Sutra: तत्र य इमे गुणा वीर्यसंज्ञकाः शीतोष्णस्निग्धरूक्षमृदुतीक्ष्णपिच्छिलविशदास्तेषां तीक्ष्णोष्णावाग्नेयौ, शीतपिच्छिलावम्बुगुणभूयिष्ठौ, पृथिव्यम्बुगुणभूयिष्ठः स्नेहः, तोयाकाशगुणभूयिष्ठं मृदुत्वं, वायुगुणभूयिष्ठं रौक्ष्यं, क्षितिसमीरणगुणभूयिष्ठं वैशद्यम्; विपाकावुक्तगुणौ। तत्रउष्णस्निग्धौ वातघ्नौ; शीतमृदुपिच्छिलाः पित्तघ्नाः; तीक्ष्णरूक्षविशदाः श्लेष्मघ्नाः; गुरुपाको वातपित्तघ्नः; लघुपाकः श्लेष्मघ्नः; तेषां मृदुशीतोष्णाः स्पर्शग्राह्याः; पिच्छिलविशदौ चक्षुःस्पर्शाभ्यां, स्निग्धरूक्षौ चक्षुषा; तीक्ष्ण
Reference:1.1.41.11.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यविशेषविज्ञानीयम्>सूत्र#11.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:द्रव्यविशेषविज्ञानीयम्
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