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Sutra: | पाल्यामयास्तु विस्राव्या इत्युक्तं प्राङ्निबोध तान्। परिपोटस्तथोत्पातउन्मन्थो दुःखवर्धनः॥ |
Reference: | 1.1.25.3.0(पूर्व>सूत्र>अष्टविधशस्त्रकर्मीयम्>सूत्र#3.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | अष्टविधशस्त्रकर्मीयम् |
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