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Index Search for        'आहार'
Sutra: नेत्याहुरन्ये। रसास्तु प्रधानं; कस्मात्? आगमात्, आगमो हि शास्त्रमुच्यते; शास्त्रे हि रसा अधिकृताः, यथा- रसायत्तआहार इति, तस्मिंस्तु प्राणाः; उपदेशाच्च, उपदिश्यन्ते हि रसाः, यथा- मधुराम्ललवणा वातं शमयन्ति; अनुमानाच्च, रसेन ह्यनुमीयते द्रव्यं, यथा- मधुरमिति; ऋषिवचनाच्च, ऋषिवचनं वेदो यथा- किञ्चिदिज्यार्थं मधुरमाहरेदिति, तस्माद्रसाः प्रधानं; रसेषु गुणसंज्ञा। रसलक्षणमन्यत्रोपदेक्ष्यामः॥
Reference:1.1.40.4.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#4.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्
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