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Index Search for        'आभुग्नक्थ्या'
Sutra: औषधानि च विदध्याद्यथोक्तानि। मृते चोत्तानायाआभुग्नक्थ्या वस्त्राधारकोन्नमितकट्या धन्वननगवृत्तिकाशाल्मलीमृत्स्नघृताभ्यां म्रक्षयित्वा हस्तं योनौ प्रवेश्य गर्भमुपहरेत्। तत्र सक्थिभ्यामागतमनुलोममेवाञ्छेत्, एकसक्थ्ना प्रतिपन्नस्येतरसक्थि प्रासार्यापहरेत्, स्फिग्देशेनागतस्य स्फिग्देशं प्रपीड्योर्ध्वमुत्क्षीप्य सक्थिनी प्रसार्यापहरेत्, तिर्यगागतस्य परिघस्येव तिरश्चीनस्य पश्चादर्धमूर्ध्वमुत्क्षिप्य पूर्वार्धमपत्यपथं प्रत्यावर्जवमानीयापहरेत्; पार्श्वापवृत्तशिरसमंसं पीड्योर्ध्वमुत्क्षिप्य शिरोऽपत्यपथमान
Reference:1.1.15.9.0(पूर्व>सूत्र>दोषधातुमलक्षयवृद्धिविज्ञानीयम्>सूत्र#9.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:दोषधातुमलक्षयवृद्धिविज्ञानीयम्
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