Search Sushruta-Samhita (सुश्रुत-संहिता-अण्वेषण-पृष्ठ)     Susruta Samhit Home (आदि-पृष्ठ)           Site Home  (वेब-फलक-आदि-पृष्ठ)

DIRECT SEARCH(unicode Sanskrit)
  

ALPHABET SEARCH
                                 अं       लृ                                    
                                                            क्ष   त्र   ज्ञ


SEARCH BY CLASS
Tantra
 


Results
Index Search for        'आपस्तदैकध्यं'
Sutra: सप्तपर्णारग्वधातिविषेक्षुरपाठाकटुरोहिण्यमृतात्रिफलापटोलपिचुमर्दपर्पटकदुरालभात्रायमाणामुस्ताचन्दनपद्महरिद्रोपकुल्याविशालामूर्वाशतावरीसारिवेन्द्रयवाटरूषकषड्ग्रन्थामधुकभूनिम्बगृष्टिका इति सम्भागः कल्कः स्यात्, कल्काच्चतुर्गुणं सर्पिः प्रक्षिप्य तद्द्विगुणो धात्रीफल रसस्तच्चतुर्गुणाआपस्तदैकध्यं समालोड्य विपचेत्, एतन्महातिक्तकं नाम सर्पिः कुष्ठविषमज्वररक्तपित्तहृद्रोगोन्मादापस्मारगुल्मपिडकासृग्दरगलगण्डगण्डमालाश्लीपदपाण्डुरोगविसर्पषाण्ढ्यकण्डूपामादींश्च शमयेदिति॥
Reference:1.1.9.8.0(पूर्व>सूत्र>योग्यासूत्रीयम्>सूत्र#8.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:योग्यासूत्रीयम्
Search other sources: search this word on other online resources