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Sutra: | तत्र शारीरं दन्तरोमनखादि धातवोऽन्नमला दोषाश्च दुष्टाः,आगन्त्वपि शारीरशल्यव्यतिरेकेण यावन्तो भावा दुःखमुत्पादयन्ति। |
Reference: | 1.1.26.6.0(पूर्व>सूत्र>प्रनष्टशल्यविज्ञानीयम्>सूत्र#6.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | प्रनष्टशल्यविज्ञानीयम् |
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