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Index Search for        'अस्थ्यवयवोऽस्थिमध्यमनुप्रविश्य'
Sutra: विशेषतस्तु सम्मूढमुभयतोऽस्थिमध्ये भग्नं ग्रन्थिरिवोन्नतं कर्कटकम्, अश्वकर्णवदुद्गमश्वकर्णकं स्पृश्यमानं शब्दवच्चूर्णितमवगच्छेत्, पिच्चितं पृथुतां गतमनल्पशोफं, पार्श्वयोरहीनोद्गतमस्थिच्छलितं, वेल्लते प्रकम्पमानं काण्डभग्नम्,अस्थ्यवयवोऽस्थिमध्यमनुप्रविश्य मज्जामुन्नह्यतीति मज्जनुगतम्, अस्थि नि:शेषतश्छिन्नमतिपातितम्, आभुग्नमविमुक्तास्थि वक्रम्, अन्यत्पार्श्वावशिष्टं छिन्नं, पाटितमणुबहुविदारितं वेदनावच्च, शूकपूर्णमिवाध्मातं विपुलं विस्फुस्फुटितमिति॥
Reference:1.1.15.10.0(पूर्व>सूत्र>दोषधातुमलक्षयवृद्धिविज्ञानीयम्>सूत्र#10.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:दोषधातुमलक्षयवृद्धिविज्ञानीयम्
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