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Sutra: | तत्रारुणा वातवहाः पूर्यन्ते वायुना सिराः। पित्तादुष्णाश्च नीलाश्च शीता गौर्यः स्थिराः कफात्।असृग्वहास्तु रोहिण्यः सिरा नात्युष्णशीतलाः॥ |
Reference: | 1.1.7.18.0(पूर्व>सूत्र>यन्त्रविधिम्>सूत्र#18.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | यन्त्रविधिम् |
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