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Index Search for        'असर्वगतेषु'
Sutra: न चायुर्वेदशास्त्रेषूपदिश्यन्ते सर्वगता: क्षेत्रज्ञा नित्याश्च;असर्वगतेषु च क्षेत्रज्ञेषु नित्यपुरुषख्यापकान् हेतूनुदाहरन्ति; आयुर्वेदशास्त्रसिद्धान्तेष्वसर्वगता: क्षेत्रज्ञा नित्याश्च, तिर्यग्योनिमानुषदेवेषु सञ्चरन्ति धर्माधर्मनिमित्तं; त एतेऽनुमानग्राह्या: परमसूक्ष्माश्चेतनावन्त: शाश्वता लोहितरेतसो: सन्निपातेष्वभिव्यज्यन्ते, यतोऽभिहितं -’पञ्चमहाभूतशरीरिसमवाय: पुरुष: ’ इति; स एष कर्मपुरुषश्चिकित्साधिकृत:॥
Reference:1.1.1.16.0(पूर्व>सूत्र>वेदोत्पत्तिः>सूत्र#16.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:वेदोत्पत्तिः
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