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Index Search for        'अवक्षिप्ते'
Sutra: वैशेषिकं तूत्पिष्टे सन्धावुभयत: शोफो वेदनाप्रादुर्भावो विशेषतश्च नानाप्रकारा वेदना रात्रौ प्रादुर्भवन्ति:; विश्लिष्टेऽल्प:, शोफो वेदनासातत्यं सन्धिविक्रिया च; विवर्तिते तु सन्धिपार्श्वापगमनाद् विषमाङ्गता वेदना च;अवक्षिप्ते सन्धिविश्लेषस्तीव्ररुजत्वं च; अतिक्षिप्ते द्वयो: सन्ध्यस्थ्नोरतिक्रान्तता वेदना च; तिर्यक्क्षिप्ते त्वेकास्थिपार्श्वापगमनमत्यर्थं वेदना चेति॥
Reference:1.1.15.7.0(पूर्व>सूत्र>दोषधातुमलक्षयवृद्धिविज्ञानीयम्>सूत्र#7.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:दोषधातुमलक्षयवृद्धिविज्ञानीयम्
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