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Index Search for        'अलगर्दा,'
Sutra: तत्र द्वादश तासां सविषाः- कृष्णा, कर्बुराअलगर्दा, इन्द्रायुधा, सामुद्रिका गोचन्दना चेति। तासु अञ्जनचूर्णवर्णा पृ्थुशिराः कृष्णाः, वर्मिमत्स्यवदायता छिन्नोन्नतकुक्षिः कर्बुरा; रोमशा माहापार्श्वा कृष्णमुखी अलगर्दा; इन्द्रायुधवदूर्ध्वराजिभिश्चित्रा इन्द्रायुधा; ईषदसितपीतिका विचित्रपुष्पाकृतिचित्रा सामुद्रिका; गोवृषणवदधोभागे द्विधाभूताकृतिरणुमुखी गोचन्दनेति। ताभिर्दष्टे पुरुषे दंशे श्वयथुरतिमात्रं कण्डूर्मूर्च्छा ज्वरो दाहश्छर्दिर्मदः सदनमिति लिङ्गानि भवन्ति। तत्र महागदः पानालेपननस्यकर्मादिषूपयोज्य
Reference:1.1.13.11.0(पूर्व>सूत्र>जलौकावचारणीयम्>सूत्र#11.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:जलौकावचारणीयम्
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