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Sutra: | अरलुत्वक् तैन्दुकी च दाङिमी कौटजी शमी। पाठा तेजोवती मुस्तं पिप्पली कौटजं फलम्॥ |
Reference: | 1.1.40.41.0(पूर्व>सूत्र>द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम्>सूत्र#41.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | द्रव्यरसगुणवीर्यविपाकविज्ञानीयम् |
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