Index Search for 'अम्लरसगन्धमम्लमेही;' |
Sutra: | अत ऊर्ध्वं पित्तनिमित्तात् वक्ष्यामः- सफेनमच्छं नीलं नीलमेही मेहति; सदाहं हरिद्राभं हरिद्रामेही;अम्लरसगन्धमम्लमेही; स्रुतक्षारप्रतिमं क्षारमेही; मञ्जिष्ठोदकप्रकाशं मञ्जिष्ठमेही; शोणितप्रकाशं शोणितमेही मेहति॥ |
Reference: | 1.1.6.11.0(पूर्व>सूत्र>ऋतुचर्यम्>सूत्र#11.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | ऋतुचर्यम् |
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