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Sutra: | वातपित्तश्लेष्मसन्निपातागन्तुनिमित्ताः शतपोनकोष्ट्रग्रीवपरिस्राविशम्बूकावर्तोन्मार्गिणो यथासंख्यं पञ्च भगन्दरा भवन्ति। ते तु भगगुदबस्तिप्रदेशदारणाच्च भगन्दरा इत्युपच्यन्ते।अभिन्ना पिडकाः भिन्नास्तु भगन्दराः॥ |
Reference: | 1.1.4.3.0(पूर्व>सूत्र>प्रभाषणीयम्>सूत्र#3.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | प्रभाषणीयम् |
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