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Index Search for        'अनिमित्तविविधवेदनाप्रादुर्भावो'
Sutra: अत ऊर्ध्वं सर्वव्रणवेदना वक्ष्यामः- तोदनभेदनताडनच्छेदनायामनमन्थनविक्षेपणचुमुचुमायननिर्दहनावभंजनस्फोटनविदारणोत्पाटनकम्पनविविधशूलविश्लेषेणविकिरणस्तम्भनपूरणस्वप्नाकुञ्चनाङ्कुशिकाः संभवन्ति,अनिमित्तविविधवेदनाप्रादुर्भावो वा मुहुर्मुहुर्यत्रागच्छन्ति वेदनाविशेषास्तं वातिकमिति विद्यात्; ओषचोषपरिदाहधूमायनानि यत्र गात्रमङ्गारावकीर्णमिव पच्यते यत्र चोष्माभिवृद्धिः क्षते क्षारावसिक्तवच्च वेदना वेशेषास्तं पैत्तिकमिति विद्यात्; पित्तवद्रक्तसमुत्थं जानीयात्; कण्डूर्गुरुत्वं सुप्तत्वमुपदेहोऽल्पवेदनत्वं स्तम्
Reference:1.1.22.12.0(पूर्व>सूत्र>व्रणास्रावविज्ञानीयम्>सूत्र#12.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:व्रणास्रावविज्ञानीयम्
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