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Index Search for        'अधनस्त्वबान्धवो'
Sutra:अधनस्त्वबान्धवो वा पादत्राणातपत्रविरहितो भैक्ष्याशी ग्रामैकरात्रवासी मुनिरिव संयतात्मा योजनशतमधिकं वा गच्छेत्, महाधनो वा श्यामाकनीवारवृत्तिरामलककपित्थतिन्दुकाश्मन्तकफलाहारो मृगैः सह वसेत्,उतन्मूत्रशकृद्भक्षः सततमनुव्रजेद्गाः, ब्राह्मणो वा शिलोञ्छवृत्तिर्भूत्वा ब्रह्मरथमुद्धरेत्, कृषेत् सततम्, इतरः खनेद्वा कूपं, कृशं तु सततं रक्षेत्॥
Reference:1.1.11.11.0(पूर्व>सूत्र>क्षारपाकविधिम्>सूत्र#11.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:क्षारपाकविधिम्
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