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Index Search for        'अथानेनैवविधानेन'
Sutra: अथेतरस्त्रिविधो मृदुर्मध्यस्तीक्ष्णश्च। तं चिकीर्षुः शरदि गिरिसानुजं शुचिरुपोष्य प्रशस्तेऽहनि प्रशस्तदेशजातमनुपहतं मध्यमवयसं महान्तमसितमुष्ककमधिवास्यापरेद्युः पाटयित्वा खण्डशः प्रकल्प्यावपाट्य निवाते देशे निचितं कृत्वा सु्धाशर्कराश्च प्रक्षिप्य तिलनालैरादीपयेत्। अथोपशान्तेऽग्नौ तद्भस्म पृथग्गृह्णीयाद्भस्मशर्कराश्च।अथानेनैवविधानेन कुटजपलाशाश्च कर्णपारिभद्रकबितभीतकारग्वधतिल्वकार्कस्नुह्य पामार्गपाटलानक्त मालवृषकदलीचित्रकपूतीकेन्द्रवृक्षास्फोताश्वमारक सप्तच्छदाग्निमन्थगुञ्जातस्रश्च कोशातकीः समूलफल
Reference:1.1.11.11.0(पूर्व>सूत्र>क्षारपाकविधिम्>सूत्र#11.0)
Tantra:पूर्व
Sthana:सूत्र
Adhyaya:क्षारपाकविधिम्
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