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'अथ'
Sutra:
अथ
कुमारं शीताभिरद्भिराश्वास्य जातकर्मणि कृते मधुसर्पिरनन्तचूर्णमङ्गुल्याऽनामिकया लेहयेत्; ततो बलातैलेनाभ्यज्य, क्षीरवृक्षकषायेण सर्वगन्धोदकेन वा रूप्यहेमप्रतप्तेन वा वारिणा स्नापयेदेनं कपित्थपत्रकषायेण वा कोष्णेन यथाकालं यथादोषं यथाविभवं च॥
Reference:
1.1.10.13.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#13.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
विशिखानुप्रवेशनीयम्
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