Index Search for 'अतोऽवलेहान्' |
Sutra: | अतोऽवलेहान् वक्ष्यामः- खदिरासननिम्बराजवृक्षशालसारक्वाथे तत्सारपिण्डाच्छ्लक्ष्णपिष्टान् प्रक्षिप्य विपचेत्, ततो नातिद्रवं नातिसान्द्रमवतार्य तस्य पाणितलं पूर्णमप्रातराशो मधुमिश्रं लिह्यात्; एवं शालसारादौ न्यग्रोधादावारग्वधादौ च लेहान् कारयेत्॥ |
Reference: | 1.1.10.9.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#9.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विशिखानुप्रवेशनीयम् |
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