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'अत'
Sutra:
अत
ऊर्ध्वं श्लेष्मस्थानान्यनुव्याख्यास्यामः। तत्र आमाशयः पित्ताशयस्योपरिष्टात् तत्प्रत्यनीकत्वादूर्ध्वगतित्वात्तेजसश्चन्द्र इवादित्यस्य चतुर्विधस्याहारस्याधाराः; स च तत्रौदकैर्गुणैराहारः प्रक्लिन्नो भिन्नसंघातः सुखजरो भवति।
Reference:
1.1.21.12.0(पूर्व>सूत्र>व्रणप्रश्नम्>सूत्र#12.0)
Tantra:
पूर्व
Sthana:
सूत्र
Adhyaya:
व्रणप्रश्नम्
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