Index Search for 'अक्ष्णोः' |
Sutra: | पित्तस्यन्दे पैत्तिके चाधिमन्थे रक्तास्रावः स्रंसनं चापि कार्यम्।अक्ष्णोः सेकालेपनस्याञ्जनानि पैत्ते च स्याद्यद्विसर्पे विधानम्॥ |
Reference: | 1.1.10.3.0(पूर्व>सूत्र>विशिखानुप्रवेशनीयम्>सूत्र#3.0) |
Tantra: | पूर्व |
Sthana: | सूत्र |
Adhyaya: | विशिखानुप्रवेशनीयम् |
Search other sources: | search this word on other online resources
|