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Alphabet search found 671 results for 'क्ष'
क्षौद्रं (1.1.36.8.0)
क्षारमूत्राढ्यस्तत्प्रशान्तये॥ (1.1.37.8.0)
क्षारद्रव्याणि (1.1.37.10.0)
क्षारो (1.1.37.10.0)
क्षुद्रसहा (1.1.38.4.0)
क्षीराणीति॥ (1.1.39.4.0)
क्षीरं (1.1.40.10.0)
क्षिप्रमाप्नोति (1.1.41.7.0)
क्षितिसमीरणगुणभूयिष्ठं (1.1.41.11.0)
क्षीरेण, (1.1.43.4.0)
क्षीरयवागूं, (1.1.43.4.0)
क्षीरेण (1.1.43.4.0)
क्षीरयुक्तं (1.1.44.6.0)
क्षिप्रमेव (1.1.45.10.0)
क्षयवृद्धी (1.1.46.3.0)
क्षिप्रं (1.2.47.43.0)
क्षयहेतुकम्॥ (1.2.47.63.0)
क्षीणस्यानिमिषाक्षस्य (1.2.47.73.0)
क्षेपं (1.2.47.74.0)
क्षीणरेताः (1.2.48.16.0)
क्षामस्वरः (1.2.48.16.0)
क्षतं (1.2.48.18.0)
क्षते (1.2.48.18.0)
क्षतनिमित्तः (1.2.50.9.0)
क्षते (1.2.50.9.0)
क्षिप्रं (1.2.50.10.0)
क्षतजश्च (1.2.50.13.0)
क्षतविसर्पणमसृजः (1.2.51.4.0)
क्षुद्रकुष्ठानि, (1.2.51.5.0)
क्षुद्रकुष्ठान्यपि (1.2.51.5.0)
क्षिप्रोत्थानप्रपाकभेदित्वानि (1.2.51.8.0)
क्षुद्रकुष्ठान्यत (1.2.51.9.0)
क्षते (1.2.51.26.0)
क्षतसर्पणम्। (1.2.51.27.0)
क्षारमेही; (1.2.52.11.0)
क्षौद्ररसवर्णं (1.2.52.12.0)
क्षौद्ररसमेही; (1.2.52.12.0)
क्षीणबलोऽतिपाण्डुः। (1.2.53.16.0)
क्षुभ्यति (1.2.53.23.0)
क्षतेनाप्यसृजा (1.2.55.6.0)
क्षिप्रोत्थानप्रपाकश्च (1.2.55.8.0)
क्षते (1.2.55.11.0)
क्षतोष्मा (1.2.55.12.0)
क्षतजप्रकाश:। (1.2.56.5.0)
क्षतव्रणमुपेत्य (1.2.56.7.0)
क्षतकृतश्च (1.2.56.8.0)
क्षपायाम्। (1.2.56.11.0)
क्षिप्तं (1.2.56.23.0)
क्षीरमुदके (1.2.56.25.0)
क्षिप्तमेकीभवति (1.2.56.25.0)
क्षीणं (1.2.57.28.0)
क्षुभ्यति (1.2.58.6.0)
क्षतेऽक्षते (1.2.58.7.0)
क्षिप्रपाक: (1.2.58.9.0)
क्षुद्ररोगाणां (1.2.59.1.0)
क्षते (1.2.59.31.0)
क्षिप्रं (1.2.59.59.0)
क्षिप्रं (1.2.59.61.0)
क्षतक्षीणकुष्ठिश्वासिनां (1.2.61.11.0)
क्षतजाभौ (1.2.62.12.0)
क्षिप्रोद्गमा (1.2.62.49.0)
क्षिप्रविदाहपाका (1.2.62.49.0)
क्षेत्रज्ञानामधिष्ठानं (1.3.63.3.0)
क्षीरादींश्चात्र (1.3.63.8.0)
क्षेत्रज्ञा (1.3.63.16.0)
क्षेत्रज्ञेषु (1.3.63.16.0)
क्षेत्रज्ञा (1.3.63.16.0)
क्षेत्रज्ञश्च (1.3.63.22.0)
क्षीणं (1.3.64.4.0)
क्षीणरेतसि॥ (1.3.64.10.0)
क्षीणं (1.3.64.23.0)
क्षीरेणाभिषुत्य (1.3.64.32.0)
क्षेत्रज्ञो (1.3.65.4.0)
क्षयम्॥ (1.3.65.11.0)
क्षीरस्येव (1.3.66.4.0)
क्षीरिणः (1.3.66.11.0)
क्षीरमावहेत्। (1.3.66.11.0)
क्षतात् (1.3.66.11.0)
क्षिप्रं (1.3.66.11.0)
क्षीणश्लेष्मनिलबहुलानां (1.3.66.33.0)
क्षयादपि। (1.3.66.42.0)
क्षीरमांसरसादिभिः॥ (1.3.66.44.0)
क्षीयमाणेऽपि (1.3.66.61.0)
क्षिप्रकोपप्रसादो (1.3.66.68.0)
क्षयो (1.3.66.78.0)
क्षमावान् (1.3.66.80.0)
क्षिप्रतलहृदयकूर्चकूर्चशिरोगुल्फेन्द्रबस्तिजान्वाण्यूर्वीलोहिताक्षाणि (1.3.68.7.0)
क्षिप्रतलहृदयकूर्चकूर्चशिरोमणिबन्धेन्द्रबस्तिकूर्पराण्यूर्वीलोहिताक्षणि (1.3.68.7.0)
क्षिप्राणि (1.3.68.15.0)
क्षीणेषु (1.3.68.17.0)
क्षपयन्ति; (1.3.68.17.0)
क्षीणेषु (1.3.68.17.0)
क्षपयन्ति; (1.3.68.17.0)
क्षते (1.3.68.20.0)
क्षिप्राणि (1.3.68.24.0)
क्षिप्रं (1.3.68.25.0)
क्षिप्रत्योपरिष्टादुभयतः (1.3.68.25.0)
क्षिप्रेषु (1.3.68.33.0)
क्षतानि (1.3.68.40.0)
क्षीणस्य (1.3.70.14.0)
क्षिप्रमर्मण (1.3.70.17.0)
क्षीणशोणितस्यानिलपूर्णा (1.3.70.19.0)
क्षीरसर्पिःसंसृष्टं, (1.3.72.4.0)
क्षीरवृक्षकषायेण (1.3.72.13.0)
क्षीरयवागूं (1.3.72.16.0)
क्षौमपरिवृतं (1.3.72.23.0)
क्षौमवस्त्रास्तृतायां (1.3.72.23.0)
क्षीरवाहिनः। (1.3.72.26.0)
क्षीरजननार्थं (1.3.72.30.0)
क्षुधितशोकार्तश्रान्तप्रदुष्टधातुगर्भिणीज्वरितातिक्षीणातिस्थूलविदग्धभक्तविरुद्धाहारतर्पितायाः (1.3.72.31.0)
क्षीरसर्पिषा (1.3.72.37.0)
क्षीरान्नादस्यात्मनि (1.3.72.37.0)
क्षीरपायाङ्गुलिपर्वद्वयग्रहणसंमितामौषधमात्रां (1.3.72.38.0)
क्षीरान्नादाय, (1.3.72.38.0)
क्षीरहाराय (1.3.72.45.0)
क्षीरान्नादाय (1.3.72.45.0)
क्षीरसात्म्यतया (1.3.72.48.0)
क्षीरमाजं (1.3.72.48.0)
क्षीरमुत्पलादिसिद्धं (1.3.72.57.0)
क्षीरिशुङ्गास्त्वचो (1.3.72.61.0)
क्षीरसिद्धानि (1.3.72.63.0)
क्षीरं (1.3.72.64.0)
क्षतोष्मणः (1.4.73.4.0)
क्षिप्रजः (1.4.73.7.0)
क्षारकर्माग्निकर्म (1.4.73.8.0)
क्षारोऽग्निर्यन्त्रमाहारो (1.4.73.9.0)
क्षिप्रं (1.4.73.15.0)
क्षीरघृतमधुशर्करोदकेक्षुरसमधुरौषधक्षीरवृक्षनिष्क्वाथैरनुषणैः (1.4.73.17.0)
क्षतं (1.4.74.9.0)
क्षारमम्लं (1.4.75.4.0)
क्षीरं (1.4.75.5.0)
क्षीरक्षुरसैर्मधुशर्करातण्डुलोदकैर्वा (1.4.77.8.0)
क्षारमूत्रपिष्टानि (1.4.77.10.0)
क्षारोऽग्निः (1.4.78.3.0)
क्षारेण, (1.4.78.3.0)
क्षाराग्निशस्त्रसाध्यानां (1.4.78.3.0)
क्षारेणैव (1.4.78.5.0)
क्षारं (1.4.78.8.0)
क्षारादिकर्म (1.4.78.8.0)
क्षाराग्निशस्त्राण्यवचारयेत्, (1.4.78.10.0)
क्षिप्रमेव (1.4.79.8.0)
क्षारान् (1.4.79.8.0)
क्षारं (1.4.80.4.0)
क्षारकल्पेन (1.4.81.10.0)
क्षारे (1.4.81.10.0)
क्षुण्णान् (1.4.82.4.0)
क्षारेषु; (1.4.82.7.0)
क्षुविकारदधिपिष्टान्नाम्लयवागूपानि (1.4.83.4.0)
क्षारमेहिनं (1.4.83.8.0)
क्षौद्रकपित्थमरिचानुविद्धानि (1.4.83.10.0)
क्षिप्रपाकभेदिन्यश्च (1.4.84.3.0)
क्षितौ। (1.4.85.6.0)
क्षीरेण (1.4.86.5.0)
क्षीरयुक्तं (1.4.86.10.0)
क्षीरेण (1.4.86.10.0)
क्षीरमासेवेत, (1.4.86.10.0)
क्षीरेण (1.4.86.10.0)
क्षीरपिष्टैर्वा (1.4.88.10.0)
क्षीरेण (1.4.89.7.0)
क्षीरसमन्वितेन। (1.4.90.8.0)
क्षीरोदकाभ्यां (1.4.90.8.0)
क्षौद्रसर्पिषा। (1.4.91.10.0)
क्षुद्ररोगचिकित्सितं (1.4.92.1.0)
क्षिप्रं (1.4.93.9.0)
क्षौद्रसर्पिषा॥ (1.4.93.9.0)
क्षौद्रयुक्तं (1.4.94.8.0)
क्षिप्रोत्थानोऽवलम्बी (1.4.95.5.0)
क्षौद्रव्योषत्रिवर्गाक्तं (1.4.96.7.0)
क्षीणबलीयं (1.4.98.1.0)
क्षीणानां (1.4.98.4.0)
क्षते॥ (1.4.98.9.0)
क्षौद्रं (1.4.99.6.0)
क्षपयन्ति (1.4.99.7.0)
क्षीरेण (1.4.99.10.0)
क्षीरसात्म्यो (1.4.100.5.0)
क्षीरवत्यस्तासां (1.4.102.5.0)
क्षीरकुडवं (1.4.102.5.0)
क्षीरधान्याम्लवारिभिः॥ (1.4.104.8.0)
क्षीणा (1.4.105.3.0)
क्षीरदधितक्रयवागूनामन्यतममाकण्ठ (1.4.105.7.0)
क्षीणशुक्रं (1.4.107.3.0)
क्षतं (1.4.108.3.0)
क्षतं (1.4.108.6.0)
क्षरत्यत्रापि (1.4.108.8.0)
क्षौमेणाष्टाङ्गुलं (1.4.112.4.0)
क्षणाज्जह्यादसून्नरः। (1.5.113.6.0)
क्षमावन्तं (1.5.113.9.0)
क्षामो (1.5.113.21.0)
क्षिप्रमेव (1.5.113.30.0)
क्ष्वेडति (1.5.113.32.0)
क्षीरमद्योदकादिषु। (1.5.113.44.0)
क्षौद्रघृतं (1.5.113.61.0)
क्षौद्रसंयुतः। (1.5.113.68.0)
क्षिप्रं (1.5.113.78.0)
क्षौद्रं (1.5.113.80.0)
क्षीरं (1.5.114.4.0)
क्षीरविषाणि; (1.5.114.5.0)
क्षीरविषैर्विड्भेदो (1.5.114.10.0)
क्षपयेच्च (1.5.114.22.0)
क्षपयेच्च (1.5.114.32.0)
क्षौद्रमधुकक्वाथयुक्तं (1.5.114.42.0)
क्षिपेत्॥ (1.5.114.43.0)
क्षौद्रयुक्तोऽगदो (1.5.114.52.0)
क्षीणस्याहितसेविनः॥ (1.5.114.55.0)
क्षितिप्रदेशं (1.5.115.10.0)
क्षत्रियाः (1.5.116.26.0)
क्षीरिकापुष्पो, (1.5.116.37.0)
क्षिप्रं (1.5.117.9.0)
क्षिप्रं (1.5.117.10.0)
क्षीरक्षौद्रघृतादिभिः। (1.5.117.17.0)
क्षिपेत्। (1.5.117.24.0)
क्षुधार्तमनिलप्रायं (1.5.117.37.0)
क्षौद्रं (1.5.117.37.0)
क्षिप्रं (1.5.117.42.0)
क्षिप्रं (1.5.117.44.0)
क्षताच्च॥ (1.5.117.57.0)
क्षिप्रमूर्ध्वं (1.5.117.60.0)
क्षीरिणां (1.5.117.60.0)
क्षौद्रयुतो (1.5.117.64.0)
क्षौद्रयुतो (1.5.117.78.0)
क्षौद्रयुतोऽथ (1.5.117.81.0)
क्षारकल्पेन (1.5.118.3.0)
क्षारागदो (1.5.118.5.0)
क्षुद्रैलां (1.5.118.17.0)
क्षौद्रोपेताः (1.5.119.20.0)
क्षौद्रेण (1.5.119.23.0)
क्षीरेणोष्णेन (1.5.119.57.0)
क्षाराग्निदग्धवद्दंशो (1.5.120.18.0)
क्षीरमज्जवसासर्पिःशुण्ठीपिप्पलिदारुषु। (1.5.120.45.0)
क्षौद्रयुतं (1.5.120.69.0)
क्षीरं (1.5.120.69.0)
क्षीरं (1.5.120.72.0)
क्षतजस्य (1.5.120.98.0)
क्षीरमोरटम्। (1.5.120.132.0)
क्षीरिणां (1.5.120.133.0)
क्षारेणाक्तमिव (2.6.126.14.0)
क्षतम्॥ (2.6.126.14.0)
क्षीरं (2.6.129.9.0)
क्षीरं (2.6.129.18.0)
क्षौद्रं (2.6.130.5.0)
क्षीरं (2.6.130.5.0)
क्षीरसर्पिश्च (2.6.130.6.0)
क्षौद्रोपेतं (2.6.130.9.0)
क्षीरे (2.6.130.10.0)
क्षीरे (2.6.130.10.0)
क्षौमाबद्धं (2.6.130.12.0)
क्षा(को)रकमेव (2.6.131.15.0)
क्षौद्रं (2.6.132.15.0)
क्षौद्रदन्तार्णवमलशिरीषकुसुमैरपि॥ (2.6.132.31.0)
क्षाराञ्जनं (2.6.132.32.0)
क्षारवच्चूर्णं (2.6.132.35.0)
क्षौद्रोपेतं (2.6.132.44.0)
क्षौद्रान्वितैरेभिरथोपयुञ्ज्यादन्यत्तु (2.6.132.46.0)
क्षुण्णाभिराश्च्योतनमेव (2.6.132.48.0)
क्षताच्छस्त्रकृताद्ध्रुवम्॥ (2.6.133.10.0)
क्षौद्रघृतं (2.6.134.4.0)
क्षौद्रमेव (2.6.134.5.0)
क्षाराग्नी (2.6.134.5.0)
क्षिप्रं (2.6.135.6.0)
क्षौद्रसंयुतम्। (2.6.135.15.0)
क्षारेणावलिखेच्चापि (2.6.135.32.0)
क्षारेण (2.6.136.7.0)
क्षौद्राज्यसंयुक्तं (2.6.137.11.0)
क्षणदान्ध्याञ्जने (2.6.137.16.0)
क्षणदे (2.6.137.17.0)
क्षुद्राञ्जनं (2.6.137.20.0)
क्षुद्राञ्जनं (2.6.137.22.0)
क्षपान्ध्यं (2.6.137.25.0)
क्षीरभवं (2.6.137.38.0)
क्षुद्राञ्जनं (2.6.137.39.0)
क्षौद्रेण (2.6.137.41.0)
क्षिपेच्च (2.6.137.45.0)
क्षतजोद्भवे (2.6.137.46.0)
क्षीरं (2.6.137.92.0)
क्षेत्रे (2.6.138.29.0)
क्षिपेत् (2.6.138.64.0)
क्षतजपित्तजशूलपथ्यम्॥ (2.6.139.3.0)
क्षणेन॥ (2.6.139.5.0)
क्षतं (2.6.139.6.0)
क्षतानि (2.6.139.6.0)
क्षौद्रायुतैश्च (2.6.139.10.0)
क्ष्वेड (2.6.140.3.0)
क्षयाद्रूकषायभोजनात् (2.6.140.9.0)
क्ष्वेडमतीव (2.6.140.9.0)
क्षताभिघातप्रभवस्तु (2.6.140.14.0)
क्षौमगुग्गुल्वगुरुभिः (2.6.141.11.0)
क्षीरेण (2.6.141.13.0)
क्षौद्रं (2.6.141.18.0)
क्षौमेणावेष्ट्य (2.6.141.20.0)
क्षीरवृक्षप्रवलेषु (2.6.141.30.0)
क्षीरेण (2.6.141.49.0)
क्षवथुर्भ्रशथुर्दीप्तो (2.6.142.4.0)
क्षवथुं (2.6.142.12.0)
क्षवथुर्निरेति। (2.6.142.13.0)
क्षीरवृक्षत्वचश्च (2.6.143.6.0)
क्षेप्यं (2.6.143.7.0)
क्षवथौ (2.6.143.7.0)
क्षीरसर्पिः (2.6.143.11.0)
क्षवथोः (2.6.144.5.0)
क्षीरे (2.6.144.29.0)
क्षीरमर्धजले (2.6.144.38.0)
क्षीरावशिष्ठेऽस्मिन् (2.6.144.39.0)
क्षयेण (2.6.145.3.0)
क्षयप्रवॄत्तः (2.6.145.9.0)
क्षीरैश्च (2.6.146.6.0)
क्षुण्णे (2.6.146.8.0)
क्षीरमर्धोदकं (2.6.146.8.0)
क्षीरशेषं (2.6.146.9.0)
क्षीरे (2.6.146.10.0)
क्षीरेक्षुरसधान्याम्लमस्तुक्षौद्रसिताजलैः॥ (2.6.146.13.0)
क्षीरसर्थिर्हितं (2.6.146.16.0)
क्षीरेणास्थापनं (2.6.146.17.0)
क्षीरसर्पिस्तु (2.6.146.18.0)
क्षारपिष्टैः (2.6.146.23.0)
क्षयजे (2.6.146.25.0)
क्षयमासाद्य (2.6.146.25.0)
क्षयकासापहं (2.6.146.26.0)
क्षीरान्नविकृतिर्घृतम्॥ (2.6.146.31.0)
क्षीरसर्पिः (2.6.146.39.0)
क्षतजसगन्धिकः (2.6.147.8.0)
क्षतः (2.6.147.10.0)
क्षीरवृक्षकषाये (2.6.149.4.0)
क्षीरे (2.6.156.5.0)
क्षोभिता (2.6.158.13.0)
क्षीरस्विन्नां (2.6.158.28.0)
क्षीरमांसरसप्रायमाहारं (2.6.158.30.0)
क्षयादजीर्णाच्च (2.6.159.20.0)
क्षुतः (2.6.159.29.0)
क्षीणमेनं (2.6.159.42.0)
क्षीणः (2.6.159.65.0)
क्षीणेन्धन (2.6.159.65.0)
क्षवः॥ (2.6.159.77.0)
क्षीणमरोचकनिपीडितम्॥ (2.6.159.94.0)
क्षयते (2.6.159.103.0)
क्षुत्पिपासाऽसहं (2.6.159.105.0)
क्षामं (2.6.159.106.0)
क्षीणः (2.6.159.115.0)
क्षीणं (2.6.159.136.0)
क्षामं (2.6.159.139.0)
क्षीयते (2.6.159.146.0)
क्षीण: (2.6.159.147.0)
क्षीणस्य (2.6.159.149.0)
क्षौद्रेण (2.6.159.171.0)
क्षीरै: (2.6.159.180.0)
क्षीरिकषायैशच (2.6.159.180.0)
क्षौद्रेण (2.6.159.183.0)
क्षौद्रहिड्.गुसमन्वितम्। (2.6.159.193.0)
क्षीरावशिष्टं (2.6.159.202.0)
क्षीरं (2.6.159.202.0)
क्षीरशेषं (2.6.159.203.0)
क्षीरसिताक्षौद्रमगधीर्वा (2.6.159.214.0)
क्षीररसाशन: (2.6.159.215.0)
क्षयकालं (2.6.159.220.0)
क्षयश्वासकासाजीर्णज्वरान् (2.6.159.222.0)
क्षीरद्विगुणंसंयुक्तं (2.6.159.224.0)
क्षीरं (2.6.159.239.0)
क्षतक्षीणे (2.6.159.254.0)
क्षये (2.6.159.254.0)
क्षीरिवृक्षासनारिष्टजम्बूसप्तच्छदार्जूनै:। (2.6.159.256.0)
क्षारतैलेन (2.6.159.272.0)
क्षिप्रमेव (2.6.159.282.0)
क्षीरेक्षुरसमाक्षीकसर्पिस्तैलोष्णवारिभि:। (2.6.159.303.0)
क्षौद्रसिताभया:। (2.6.159.306.0)
क्षीरसम्प्लुतम्। (2.6.159.317.0)
क्षवथुश्चान्नकाङ्क्षा (2.6.159.320.0)
क्षोभयत्यस्य (2.6.160.14.0)
क्षोभयन्त: (2.6.160.15.0)
क्षीणं (2.6.160.20.0)
क्षीणं (2.6.160.21.0)
क्षीरावशिष्टं (2.6.160.52.0)
क्षीरावशिष्टं (2.6.160.53.0)
क्षीरनागरचाङ्गेरीकोलदध्यम्लसाधितम्। (2.6.160.55.0)
क्षीरनतीसारेषु (2.6.160.100.0)
क्षीरिशुङ्गश्रृतमं (2.6.160.104.0)
क्षिप्रं (2.6.160.107.0)
क्षीरं (2.6.160.110.0)
क्षीरे (2.6.160.120.0)
क्षये। (2.6.160.134.0)
क्षये (2.6.160.136.0)
क्षीणवर्चो (2.6.160.136.0)
क्षीरमेवाशु (2.6.160.140.0)
क्षीरं (2.6.160.141.0)
क्षीरेण (2.6.160.143.0)
क्षीरेण (2.6.160.145.0)
क्षय (2.6.161.4.0)
क्षयाद्वेगप्रतीघातादाघाताद्विषमाशनात्॥ (2.6.161.8.0)
क्षीणे (2.6.161.10.0)
क्षीयन्ते (2.6.161.10.0)
क्षयलिङ्गैरुपद्रुतः। (2.6.161.17.0)
क्षीयन्ते (2.6.161.17.0)
क्षताद्विना॥ (2.6.161.22.0)
क्षते (2.6.161.25.0)
क्षया (2.6.161.28.0)
क्षीणमाणमतीसारनिपीडितम्। (2.6.161.31.0)
क्षयार्तः॥ (2.6.161.39.0)
क्षौद्रकणासमेतम्। (2.6.161.40.0)
क्षयरोगघाती॥ (2.6.161.40.0)
क्षीरं (2.6.161.42.0)
क्षीरघृतं (2.6.161.42.0)
क्षीरस्य (2.6.161.45.0)
क्षौद्रं (2.6.161.52.0)
क्षीरमतन्द्रितश्च॥ (2.6.161.52.0)
क्षयार्तः (2.6.161.57.0)
क्षीरेण (2.6.161.57.0)
क्षीरेण (2.6.161.57.0)
क्षतजं (2.6.162.13.0)
क्षारवर्गे (2.6.162.38.0)
क्षारोऽयं (2.6.162.44.0)
क्षारः (2.6.162.45.0)
क्षीरमिष्यते॥ (2.6.162.55.0)
क्षारं (2.6.162.69.0)
क्षुत्काले (2.6.162.78.0)
क्षिप्रमेव (2.6.162.95.0)
क्षिप्रमेव (2.6.162.99.0)
क्षीरैर्यवागूभिः (2.6.162.101.0)
क्षीरं (2.6.162.106.0)
क्षुद्रसहां (2.6.162.113.0)
क्षिप्रं (2.6.162.138.0)
क्षिप्रं (2.6.162.140.0)
क्षाराश्चूर्णानि (2.6.162.145.0)
क्षौद्रघृतप्रगाढैर्हरीतकीचूर्णयुतैः (2.6.164.14.0)
क्षीरेण (2.6.164.20.0)
क्षिणोति (2.6.164.24.0)
क्षीरभुजोपयोज्यम्॥ (2.6.164.26.0)
क्षिप्त्वा (2.6.164.33.0)
क्षारकृतांस्तथैव॥ (2.6.164.36.0)
क्षीणस्य (2.6.165.12.0)
क्षीरे (2.6.165.18.0)
क्षिपेद्रात्रावाकाशे (2.6.165.22.0)
क्षौद्रयुतं (2.6.165.22.0)
क्षौद्रयुक्तं (2.6.165.28.0)
क्षौद्रयुतं (2.6.165.29.0)
क्षीरघृतं (2.6.165.29.0)
क्षौद्रान्वितं (2.6.165.31.0)
क्षीरघृतं (2.6.165.37.0)
क्षीरेण (2.6.165.39.0)
क्षीरौदनं (2.6.165.41.0)
क्षीणस्य (2.6.166.3.0)
क्षौद्रेण (2.6.166.17.0)
क्षीरं (2.6.166.18.0)
क्षणमवस्थितमुल्लिखेच्च। (2.6.167.27.0)
क्षीरिप्रवालबिसजीरकनागपुष्पपत्रैलवालुसितसारिवपद्मकानि। (2.6.167.41.0)
क्षीरे (2.6.167.46.0)
क्षीणे (2.6.167.70.0)
क्षामस्वरः (2.6.167.75.0)
क्षतजेनाश्नतश्चान्यः (2.6.167.76.0)
क्षीरमांसरसाहारं (2.6.167.77.0)
क्षतजा (2.6.168.6.0)
क्षयात्तथऽन्याऽऽमसमुद्भवा (2.6.168.6.0)
क्षतस्य (2.6.168.12.0)
क्षतजा (2.6.168.12.0)
क्षयजा (2.6.168.13.0)
क्षीणं (2.6.168.15.0)
क्षौद्रयुतं (2.6.168.18.0)
क्षौद्रयुतः (2.6.168.20.0)
क्षीरं (2.6.168.20.0)
क्षतजां (2.6.168.23.0)
क्षौद्रयुतं (2.6.168.24.0)
क्षतोद्भवां (2.6.168.27.0)
क्षयोत्थितां (2.6.168.28.0)
क्षीरघृतं (2.6.168.28.0)
क्षयादृते (2.6.168.29.0)
क्षीररसौ (2.6.168.33.0)
क्षयात्तथोद्वेगादजीर्णात् (2.6.169.4.0)
क्षीणस्योपद्रवैर्युक्तां (2.6.169.14.0)
क्षीघृतं (2.6.169.18.0)
क्षौद्रयुतान् (2.6.169.32.0)
क्षौद्रसितोपेतां (2.6.169.32.0)
क्षुद्रां (2.6.170.7.0)
क्षुद्रिका (2.6.170.12.0)
क्षीणोऽन्नद्विट् (2.6.170.16.0)
क्षीरमिक्षो (2.6.170.18.0)
क्षौद्रोपेतं (2.6.170.20.0)
क्षौद्रोपेतं (2.6.170.22.0)
क्षीरमाजं (2.6.170.23.0)
क्षौद्रं (2.6.170.24.0)
क्षारमधूपपन्नम्॥ (2.6.170.25.0)
क्षुद्रिकस्तमकश्छिन्नो (2.6.171.5.0)
क्षुद्र (2.6.171.7.0)
क्षुद्रः (2.6.171.14.0)
क्षयं (2.6.171.20.0)
क्षौद्रेण (2.6.171.21.0)
क्षौद्रेण (2.6.171.38.0)
क्षयजोऽपरश्च। (2.6.172.6.0)
क्षामाननः (2.6.172.8.0)
क्षीणबलस्वरौजाः। (2.6.172.8.0)
क्षतजं (2.6.172.11.0)
क्षयजं (2.6.172.13.0)
क्षौद्रसिताघृताक्तः (2.6.172.15.0)
क्षौद्रेण (2.6.172.21.0)
क्षीरं (2.6.172.24.0)
क्षतजे (2.6.172.33.0)
क्षौद्रेण (2.6.172.35.0)
क्षतजे (2.6.172.35.0)
क्षयोत्थे (2.6.172.35.0)
क्षीरेण (2.6.172.36.0)
क्षीरेण (2.6.172.37.0)
क्षौद्रेण (2.6.172.37.0)
क्षतोत्थं (2.6.172.47.0)
क्षयजं (2.6.172.47.0)
क्षयकृते (2.6.173.6.0)
क्षयमाप्नुयाच्च (2.6.173.6.0)
क्षीणस्य (2.6.173.7.0)
क्षीरानुपानं (2.6.173.13.0)
क्षयजे (2.6.173.16.0)
क्षौद्रयुतं (2.6.174.24.0)
क्षौद्रेण (2.6.174.26.0)
क्षौद्रेण (2.6.174.31.0)
क्षारपानं (2.6.174.39.0)
क्षीराणि (2.6.174.40.0)
क्षुत्तृष्णाश्वासनिद्राणामुदावर्तो (2.6.175.5.0)
क्षिपेद्वा। (2.6.175.8.0)
क्षवथोर्विघाताच्छिरोक्षिनासाश्रवणेषु (2.6.175.13.0)
क्षुधोऽभिघातान् (2.6.175.16.0)
क्षीणं (2.6.175.18.0)
क्षीरं (2.6.175.22.0)
क्षीरं (2.6.175.26.0)
क्षवसक्तिं (2.6.175.29.0)
क्षुद्विघाते (2.6.175.34.0)
क्षीरं (2.6.175.35.0)
क्षामस्वरः (2.6.176.11.0)
क्षारागदं (2.6.176.15.0)
क्षुधार्तं (2.6.176.20.0)
क्षौद्रयुतानि (2.6.177.14.0)
क्षारासवैश्च (2.6.177.15.0)
क्षयस्तथा॥ (2.6.178.3.0)
क्षारमद्या(ध्वा)सवस्वेदान् (2.6.178.27.0)
क्षीरचतुर्गुणम्॥ (2.6.178.33.0)
क्षीरावशिष्टं (2.6.178.34.0)
क्षौद्रसंयुतम्॥ (2.6.178.39.0)
क्षीरं (2.6.178.43.0)
क्षीरे (2.6.178.47.0)
क्षारोदकेन (2.6.178.48.0)
क्षौद्रार्धपात्रं (2.6.178.53.0)
क्षीरसर्पिषः। (2.6.178.53.0)
क्षीरं (2.6.178.55.0)
क्षौद्रप्रस्थेन (2.6.178.61.0)
क्षौद्रेण (2.6.178.63.0)
क्षीरं (2.6.178.63.0)
क्षीरद्रोणे (2.6.178.67.0)
क्षतेष्वभिहितेषु (2.6.179.8.0)
क्षीरमेव (2.6.179.21.0)
क्षतातुरः। (2.6.180.3.0)
क्षतं (2.6.180.5.0)
क्षिप्रं (2.6.180.39.0)
क्षितौ॥ (2.6.181.9.0)
क्षणिकत्वात्तथैव (2.6.181.18.0)
क्षीरे (2.6.181.38.0)
क्षते (2.6.182.12.0)
क्षीरचतुर्गुणम्॥ (2.6.182.29.0)
क्षीरेक्षुविकृतिक्षौद्रशालिमुद्गादिजाङ्गलाः। (2.6.184.14.0)
क्षारं (2.6.184.17.0)
क्षीणान् (2.6.184.56.0)
क्षयमागतैः। (2.6.186.11.0)
क्षीणमध्याधिकक्षीणवृद्धस्तथाऽपरैः॥ (2.6.186.11.0)
क्षुत्पिपासाजरामृत्युनिद्राप्रकृतयः॥ (1.1.1.24.0)
क्षीरवृक्षाणां (1.1.2.4.0)
क्षारकल्पनम्। (1.1.3.5.0)
क्षुद्ररोगिणाम्॥ (1.1.3.20.0)
क्षीणे (1.1.3.22.0)
क्षितिमल (1.1.6.11.0)
क्षारौषधप्रणिधानार्थं, (1.1.7.14.0)
क्षाराग्निभेषजानि (1.1.7.15.0)
क्षारोदकतैलेषु। (1.1.8.12.0)
क्षारपायितं (1.1.8.12.0)
क्षारवह्निजलौकसाम्॥ (1.1.8.16.0)
क्षारपाकविधिमध्यायं (1.1.11.1.0)
क्षारः (1.1.11.3.0)
क्षरणात् (1.1.11.4.0)
क्षणनाद्वा (1.1.11.4.0)
क्षारः॥ (1.1.11.4.0)
क्षीणबले (1.1.11.15.0)
क्षारोदकमावपेद्बलकरणार्थम्॥ (1.1.11.15.0)
क्षारो (1.1.11.16.0)
क्षारसाध्यव्याधिव्याधितमुपवेश्य (1.1.11.18.0)
क्षारं (1.1.11.18.0)
क्षारदग्धं (1.1.11.20.0)
क्षारः (1.1.11.23.0)
क्षारे (1.1.11.24.0)
क्षारदग्धव्रणं (1.1.11.27.0)
क्षारकृत्याः; (1.1.11.28.0)
क्षारसाध्येष्वपि (1.1.11.30.0)
क्षारो (1.1.11.30.0)
क्षारो (1.1.11.31.0)
क्षारादग्निर्गरीयान् (1.1.12.3.0)
क्षुद्रगुडस्नेहाश्च। (1.1.12.4.0)
क्षौद्रगुडस्नेहाः (1.1.12.4.0)
क्षौति (1.1.12.30.0)
क्षेत्राणि; (1.1.13.13.0)
क्षेत्रेषु (1.1.13.15.0)
क्षीणबिन्दुं (1.1.13.19.0)
क्षेत्राणि (1.1.13.24.0)
क्षयवृद्धिवैकृतैः। (1.1.14.3.0)
क्षयम्॥ (1.1.14.6.0)
क्षयवृद्धी (1.1.14.21.0)
क्षीणस्य (1.1.14.25.0)
क्षौमेण (1.1.14.37.0)
क्षारेणाग्निना (1.1.14.37.0)
क्षीणलक्षणं (1.1.15.11.0)
क्षीरबस्तिप्रयोगो (1.1.15.16.0)
क्षपणं (1.1.15.21.0)
क्षयादविरुद्धैः (1.1.15.21.0)
क्षय (1.1.15.28.0)
क्षये॥ (1.1.15.29.0)
क्षीणः (1.1.15.35.0)
क्षयमपोहति॥ (1.1.15.35.0)
क्षुद्रश्वासपिपासाक्षुत्स्वप्नस्वेदगात्रदौर्गन्ध्यक्रथनगात्रसादगद्गदत्वानि (1.1.15.37.0)
क्षिप्रमेवाविशन्ति, (1.1.15.37.0)
क्षुत्पिपासाशीतोष्णवातवर्षभारादानेष्वसहिष्णुर्वातरोगप्रायोऽल्पप्राणश्च (1.1.15.38.0)
क्षुत्पिपासाशीतोष्णवातवर्षातपसहो (1.1.15.39.0)
क्षपयत्यात्मतेजसा। (1.1.15.41.0)
क्षपयेद्बृंहयेच्चापि (1.1.15.46.0)
क्षीणपुत्रिकाश्रितो (1.1.16.10.0)
क्षीरमुदक्ं (1.1.16.15.0)
क्षीणरक्तं (1.1.16.17.0)
क्षीणोऽल्पमांसो (1.1.16.17.0)
क्षिप्रमेव (1.1.16.25.0)
क्षौद्रं (1.1.16.28.11)
क्षीरेण (1.1.16.28.17)
क्षतिविद्रधिर्वा (1.1.17.10.0)
क्षताक्षतेषु, (1.1.18.7.0)
क्षतेषूपयुज्यते (1.1.18.7.0)
क्षौमकार्पासाविकदुकूलकौशेयपत्रोर्णचीनपट्टचर्मान्तर्वल्कलालाबूशकललताविदलरज्जुतूलफलसन्तानिकालौहानीति; (1.1.18.17.0)
क्षिप्रं (1.1.18.32.0)
क्षाराग्निदग्धाः (1.1.18.33.0)
क्षिणोति (1.1.18.39.0)
क्षिप्रं (1.1.19.19.0)
क्षीणशोणितमांसस्य (1.1.19.21.0)
क्षतजनिमित्तं (1.1.19.23.0)
क्षिप्रं (1.1.19.26.0)
क्षीरेण (1.1.20.13.0)
क्षतानां (1.1.20.24.0)
क्षीणक्षयविषार्तानां (1.1.20.30.0)
क्षीणे (1.1.21.9.0)
क्षुद्ररोगान् (1.1.21.33.0)
क्षिप्रं (1.1.22.6.0)
क्षारोदकनिभः (1.1.22.10.0)
क्षते (1.1.22.12.0)
क्षारावसिक्तवच्च (1.1.22.12.0)
क्षीणमांसान (1.1.23.12.0)
क्षुपको (1.1.23.17.0)
क्षुत्पिपासाजजरामृत्युनिद्राप्रभृतयः; (1.1.24.7.0)
क्षुद्ररोगाश्च (1.1.25.7.0)
क्षुद्ररोगाश्च (1.1.25.16.0)
क्षाराग्निविषैर्जुष्टा (1.1.25.17.0)
क्षौमपिचुच्छन्नं (1.1.25.27.0)
क्षौमध्यामेन (1.1.25.28.0)
क्षारशस्त्राग्निभिरौषधैश्च (1.1.25.32.0)
क्षणेन (1.1.25.33.0)
क्षततश्च (1.1.25.36.0)
क्षतेषु (1.1.25.38.0)
क्षुभ्यमाणं (1.1.26.12.0)
क्षिप्रमेतानि (1.1.26.15.0)
क्षतकण्ठाय (1.1.27.20.0)
क्ष्वेडन्ति (1.1.28.16.0)
क्षुतं (1.1.29.45.0)
क्षुभितान् (1.1.29.79.0)
क्षिप्तश्चोर्ध्वं (1.1.31.5.0)
क्षीणमादिशेत्। (1.1.31.20.0)
क्षीणस्य (1.1.31.28.0)
क्षुत्तृष्णे (1.1.31.28.0)
क्षीणश्छर्दिभक्तद्वेषयुक्तः (1.1.32.5.0)
क्षीणोऽन्नद्वेषी (1.1.32.5.0)
क्षपत्याशु (1.1.33.12.0)
क्षीणं (1.1.33.17.0)
क्षपयति (1.1.33.17.0)
क्षीणशोणितमांसं (1.1.33.18.0)
क्षपयति (1.1.33.18.0)
क्षीणं (1.1.33.19.0)
क्षीणमांसबलो (1.1.33.25.0)
क्षमा (1.1.34.10.0)
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