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Etymology |
Meaning |
उत्थितिः | 14203 | स्त्री* | H1 | - | NP | उद्+स्था+क्तिन् | "उन्नति, ऊपर उठना" | लघुविक्रम | 71046 | वि* | H2 | लघु-विक्रम | NV | - | "तेज कदम वाला,शीघ्र पग उठाने वाला" | उत्कलाप् | 13897 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | पूंछ फैलाये हुए और सीधी उठाये हुए | उद्बोधनम् | 14901 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+बुध्+णिच्+ल्युट् | "प्रत्यास्मरण करना, उठाना" | उद्बाहु | 14893 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | "भुजाएँ ऊपर उठाये हुए, भुजाओं को फैलाये हुए" | प्रत्यभ्युत्थानम् | 105157 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+अभि+उद्+स्था+ल्युट् | अतिथि का स्वागत करने के लिए अपने आसन से उठना | संयानम् | 86857 | नपुं* | H1 | - | NP | - | शव को उठाकर ले जाना | उदेज् | 17159 | भ्वा* आ* | H2 | उद-एज् | D | - | "उठना, ऊपर को होना" | प्रत्युज्जीवनम् | 53467 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+जीव्+ल्युट् | "पुनर्जीवन होना, जीवन का फिर संचार होना, फिर से जी उठना" | शपथकरणम् | 109424 | नपुं* | H1 | - | NP | - | शपथ उठाना | प्रभुत्वाक्षेपः | 105204 | "पुं*,ष*त*" | H1 | - | NP | - | आदेश के वचन के द्वारा उठाया गया आक्षेप | उद्भावयितृ | 14917 | वि* | H1 | - | NV | उद्+भू+णिच्+तृच् | "ऊपर उठाने वाला, उत्कृष्ट बनाने वाला" | अपाकर्मन् | 4723 | नपुं* | H1 | - | NP | अप+आ+कृ+मनिन् | "चुकता कर देना,कारवार उठा देना " | उन्नमनम् | 15074 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+नम्+ल्युट् | "ऊपर उठाना, ऊँचा करना" | असुखिन् | 9826 | "वि*,न* त*" | H1 | - | NV | - | "स्वामी की स्वीकृति के बिना उसकी चीज उठा ले जाने वाला,चोर" | समुदक्त | 89732 | भू* क* कृ* | H1 | - | KN | सम् + उद् + अञ्ज् + क्त | "उठाया हुआ, ऊपर खींचा हुआ " | प्रत्युद्गमः | 53501 | पुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+गम्+अप् | अतिथि का सत्कार करने के लिए अपने आसन से उठना या बाहर जाना | प्रत्युद्धरणम् | 53505 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+हृ+ल्युट् | फिर उठाना | दन्तुर | 35707 | वि* | H1 | - | NV | दन्त + उरच् | "उठना, खड़ा होना" | उदानी | 100342 | भ्वा*आ* | H1 | - | D | - | "उठाना, उन्नत करना" | भारोद्धरणम् | 106196 | नपुं* | H2 | भार-उद्धरणम् | NP | - | बोझा उठाना | समुद्वहः | 89828 | पुं* | H1 | - | NP | सम् + उद् + वह् + अच् | उठाने वाला | "अगस्तिः,अगस्त्यः" | 111212 | पुं* | H1 | - | NS | "विन्ध्याख्यम् अगम् अस्यति अस्यति,अस्+क्तिच् शक०,या अगं विन्ध्याचलं स्त्यायति स्तभ्नाति,स्त्यै+क,या अगः कुम्भः तत्र स्त्यानः संहतः इत्यगस्त्यः" | "एक प्रसिद्ध ऋषि या मुनि का नाम। ऋग्वेद में अगस्त्य और वशिष्ठ मुनि मित्र और वरुण की सन्तान माने जाते है। कहते है कि लावण्यमयी अप्सरा उर्वशी को देखकर इनका वीर्य स्खलित हो गया। उसका कुछ भाग एक घड़े में गिर गया तथा कुछ भाग जल में। घड़े से अगस्त्य का जन्म हुआ इसीलिए इसे कुम्भ्योनि,कुम्भजन्मा,घटोद्भव,कलशयोनि आदि भी कहते हैं। वर्णन मिलता है कि इसने विन्ध्याचल पर्वत् को जो बराबर उठता जा रहा था तथा सूर्यमण्डल पर अधिकार करने ही वाला था,और जिसने इसके रास्ते को रोक दिया था, नीचे हो जाने के लिए कहा। दे०‘ विन्ध्य०( यह आख्यायिका कई विद्वानों के मतानुसार आर्य जाति की दक्षिण देश में विजय और भारत की सभ्यता के प्रति प्रगति का पूर्वाभास देती है) इसके नाम एक अन्य आख्यायिका के अनुसार समुद्र को पी जाने के कारण पीताब्धि और समुद्रचुलुक आदि भी थे,क्योकि समुद्र ने अगस्त्य को रुष्ट कर दिया था,और क्योंकि अगस्त्य युद्ध में इन्द्र और देवों की सहायता करना चाहता था जब कि देवों का युद्ध कालेय नामक राक्षवर्ग से होने लगा था और राक्ष समुद्र में जाकर छिप गये थे और तीनों लोकों को कष्ट देते थे।उसकी पत्नी का नाम लोपामुद्रा था। वह विंध्य के दक्षिण में कुंजर पर्वत पर एक तपोवन में रहता था।उसने दक्षिण में रहने वाले सभी राक्षसों को नियन्त्रण में रक्खा। एक उपाख्यान में वर्णन मिलता है कि किस प्रकार इसने वातापि नामक राक्षस को खा लिया जिसने मेंढे का रुप धारण कर लिया था,और किस प्रकार उसके भाई को जो अपने भाई का बदला लेने आया था, अपनी एक दृष्टि से भस्म कर दिया। अपने वनवास के समय घूमते हुए भगवान् राम,सीता और लक्ष्मण सहित उसके आश्रम में गये। वहाँ अगस्त्य ने इनका बहुत आदर-सत्कार किया और राम का मित्र ,सलाहकार और अभिरक्षक बन गया। उसने राम को विष्णु का धनुष तथा कुछ और वस्तुएँ दीं( दे०रघु० १५/५५) ज्योतिष में इसे तारा भी माना जाता है-तु०रघु० ४/२१ भी।" | प्रत्युद्गमनीयम् | 53503 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+गम्+अनीयर् | अतिथि का सत्कार करने के लिए अपने आसन से उठना या बाहर जाना | इन्ध् | 13184 | कर्मवा*<इध्यते> | H1 | - | D | - | "जलाया जाना, प्रदीप्त होना, लपटें उठना" | वैजयन्तिकः | 80802 | पुं* | H1 | - | NP | वैजयन्ती + ठक् | झण्डा उठाने वाला | शङ्क् | 82312 | "भ्वा* आ* <शङ्कते>, <शङ्कित>" | H1 | - | D | - | "आक्षेप करना, अपनी शंका या ऐतराज उठाना " | प्रत्युदि | 12872 | अदा* पर* | H2 | प्रत्युद्-इ | D | - | स्वागत या सत्कार करने केलिए उठकर अगवानी करना | उद्गीर्ण | 100371 | वि* | H1 | - | KNV | उद्+गृ+क्त | "उठता हुआ, किनारे से बहता हुआ" | उत्पतनम् | 14207 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+पत्+ल्युट् | "ऊपर उठना या जाना, चढ़ना" | भारोढिः | 106197 | स्त्री* | H2 | भार-ऊढिः | NP | - | "भारवहन करना, बोझ उठाना" | उपार्जना | 16089 | स्त्री* | H1 | - | NP | "उप+अर्ज्+ल्युट्, युच् वा" | "कमाना, लाभ उठाना" | मद्यवीजम् | 62659 | नपुं* | H2 | मद्य-वीजम् | NP | - | "खमीर उठाने वाली ओषध, खमीर पैदा करने वाली लेई" | आरूढिः | 11926 | स्त्री* | H1 | - | NP | आ+रुक्+क्तिन् | "चढ़ाव, ऊपर उठना, उन्नयन" | त्यक्तप्राण | 34850 | वि* | H2 | त्यक्त-प्राण | NV | - | "प्राण देने के लिए तैयार, कोई भी जोखिम उठाने को तैयार" | प्रोत्कण्ठ | 56300 | "वि*, प्रा* स*" | H1 | - | NV | प्रकर्षेण उत्कण्ठः | गर्दन ऊपर उठाये हुए या फैलाये हुए | प्रत्युद्गतिः | 53500 | स्त्री* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+गम्+क्तिन् | अतिथि का सत्कार करने के लिए अपने आसन से उठना या बाहर जाना | अदत्तादायिन् | 1812 | वि* | H2 | अदत्त-आदायिन् | NV | - | जो न दी हुई वस्तुओं को उठा ले जाता है | उद्ग्रीव | 14720 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | उन्नता ग्रीवा यस्य | गर्दन ऊपर उठाये हुए | उद्यमनम् | 14953 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+यम्+ल्युट् | "उठाना, उन्नयन" | उद्वृह् | 80352 | भ्वा* पर* | H2 | उद्-वृह् | D | - | "उठाना, ऊपर को करना" | लुन्थ् | 72091 | भ्वा* पर* <लुन्थति> | H1 | - | D | - | "भुगतना, पिड़ित होना, कष्ट उठाना" | भीष्मकः | 60307 | पुं* | H1 | - | NS | - | "विदर्भ के राजा का नाम, जिसकी पुत्री रुक्मिणी को कृष्ण उठा लाया था" | उद्विबर्हणम् | 100431 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+वि = वृह्+ ल्युट् | "बचाना, निकलना, उठाना" | पर्युदस्त | 47659 | भू* क* कृ* | H1 | - | KN | परि + उद् + अस् + क्त | रोका गया (नियमित) आपत्ति उठाई गई | उन्नम् | 40962 | भ्वा* पर* | H2 | उद्-नम् | D | - | "ऊपर उठाना, सीधा खड़ा करना" | प्रज्वलनम् | 52202 | नपुं* | H1 | - | NP | प्र+ज्वल्+ल्युट् | "देदीप्यमान होना, लपटें उठना, जलना, दहकना" | नग्नहु | 103623 | नपुं* | H1 | - | NP | - | "आसन तैयार करने के लिए उठाया गया खमीर, किण्वन" | उन्मस्ज् | 64065 | तुदा* पर* | H2 | उद्-मस्ज् | D | - | "पानी से बाहर आना, दृष्टिगोचर होना, उठना" | प्रत्युन्नमनम् | 53510 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+नम्+ल्युट् | "पुनः उठना, फिर उछलना, पलटा खाकर आना" | किण्वः | 21083 | पुं* | H1 | - | NP | "कण् - क्वन्, इत्वम्" | "मदिरा के निर्माण में खमीर उठाने वाला बीज, या औषधि" | प्रदवः | 53626 | पुं* | H1 | - | NP | प्र+दु+अप् | "जलना, ज्वालाएँ उठना" | उत्पताक | 14208 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | उत्तोलिता पताका यत्र | "झंडा ऊपर उठाए हुए, जहाँ झंडे फहरा रहे हों" | उत्तोलनम् | 14171 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+तुल्+णिच्+ल्युट् | "ऊपर उठाना, उभारना" | उत्थ | 14177 | वि* | H1 | - | NV | उद्+स्था+क | "ऊपर उठता हुआ, ऊपर आता हुआ" | एकधुरीण | 100810 | वि* | H2 | एकः-धुरीण | NV | - | एक ही भार को उठाने वाला | प्रया | 105221 | अदा*पर* | H1 | - | D | - | "ग्रस्त होना, अपने ऊपर लेना, उठाना" | बोधक | 58330 | वि* | H1 | - | NV | बुध् + णिच् + ण्णुल् | "जागने वाला, उठाने वाला" | अभिमुख | 5575 | वि* | H1 | - | NV | - | मुँह ऊपर को उठाये हुए | अवभ्रः | 8307 | पुं* | H1 | - | NP | - | "अपहरण, उठाकर ले जाना ।" | आकाशमुष्टिहननम् | 99736 | नपुं* | H2 | आकाशः-मुष्टिहननम् | NP | - | "मूर्खता का कार्य जैसे आकाश की ओर घूँसा उठाना, व्यर्थ कार्य" | प्रोन्नमित | 105496 | वि* | H1 | - | NV | प्र+उत्+नम्+णिच्+क्त | "उठाया हुआ, उभारा हुआ" | अपस्फर् | 95870 | तुदा* पर* | H2 | अप-स्फर् | D | - | चमक उठना | स्तुप् | 94834 | "दिवा* पर*, चुरा* उभ* <स्तूप्यति> <स्तूपयति> <स्तूपयते>" | H1 | - | D | - | "खड़ा करना, उठाना" | शस्त्रोद्यम: | 83327 | पुं* | H2 | शस्त्रम्-उद्यम: | NP | - | (प्रहार करने के लिए) शस्त्र उठाना | अवटुः | 8096 | स्त्री* | H1 | - | NP | - | गरदन का उठा हुआ भाग | समुत्कर्षः | 89696 | पुं* | H1 | - | NP | सम् + उत् + कृष् + घञ् | "अपने अपको ऊपर उठाना, अपनी जाति की अपेक्षा किसी अन्य ऊंची जाति से सम्बन्ध रखना" | संशयमारुह् | 70450 | भ्वा* पर* | HP | - | D | - | "जोखिम उठाना, सन्दिग्धावस्था में होना आदि" | यष्ट्युत्थानम् | 107082 | नपुं* | H2 | यष्टिः-उत्थानम् | NP | - | लकड़ी की सहायता से उठना | उदक्त | 14437 | वि* | H1 | - | NV | उद्+अञ्च्+क्त | "उठाया हुआ, ऊपर को उभारा हुआ" | अधिरोहिन् | 2174 | वि* | H1 | - | NV | अधि+रुह्+णिनि | "चढ़ने वाला, सवार होने वाला, ऊपर उठने वाला" | उत्पुच्छ | 14268 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | जिसकी पूंछ ऊपर उठी हो | प्रत्युत्थानम् | 53488 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+स्था+ल्युट् | किसी अभ्यागत का स्वागत करने के लिए अपने आस न से उठना | प्रबोधिनी | 53927 | स्त्री* | H1 | - | NP | प्र+बुध्+णिच्+णिनि+ङीप् | देव उठनी एकादशी | उत्सञ्जनम् | 14312 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+सञ्ज्+ल्युट् | "ऊपर को फेंकना, ऊपर उठाना" | उदायुध | 14592 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | "जिसने शस्त्र उठा लिया है, शस्त्र ऊपर उठाये हुए" | हृत् | 98210 | वि* | H1 | - | NV | "हृ + क्विप्, तुक्" | "ले जाने वाला, अपहरण करने वाला, हटाने वाला, उठाकर ले वाला, आकर्षक" | अभिहृ | 98133 | भ्व* उभ* | H2 | अभि-हृ | D | - | "उठाकर ले जाना, हटाना," | उद्गूर्ण | 14702 | वि* | H1 | - | KNV | उद्+गूर्+क्त | "ऊँचा किया हुआ, ऊपर उठाया हुआ" | उद्योजित | 100414 | वि* | H1 | - | KNV | उद्+युज्+ णिच्+ क्त | "उठाया हुआ, एक चित्र" | वृथाश्रमः | 80126 | पुं* | H2 | वृथा-श्रमः | NP | - | व्यर्थ चेष्टा या कष्ट उठाना | संशप्तकः | 87151 | पुं* | H1 | - | NP | - | वह षड्यन्त्रकारी जिसने किसी को मार डालने का बीड़ा उठाया हो | प्रेतधूमः | 56164 | पुं* | H2 | प्रेत-धूमः | NP | - | चिता से उठता हुआ धूआँ | उद्धस्त | 14849 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | हाथ आगे पसारे हुए या उठाये हुए | असम्मतादायिन् | 9677 | वि* | H2 | असम्मत-आदायिन् | NV | - | "स्वामी की स्वीकृति के बिना उसकी चीज उठा ले जाने वाला,चोर" | औन्नत्यम् | 17566 | वि* | H1 | - | NV | उन्नत-ष्यञ् | "ऊँचाई, ऊँचा उठना" | प्रतिबुध् | 58175 | भ्वा* उभ*प्रेर* | H2 | प्रति-बुध् | D | - | "जगाना, उठाना" | धाराधिरूढ़ | 39849 | वि* | H2 | धारा-अधिरूढ़ | NV | - | उच्चतम स्वर तक उठाया हुआ | लब्धतीर्थ | 107835 | वि* | H2 | लब्ध-तीर्थ | NV | - | जिसने अवसर से लाभ उठा लिया है | अभ्युन्नम् | 40955 | भ्वा* पर* | H2 | अभ्युद्-नम् | D | - | "उठाना, उन्नत होना" | उदे | 100361 | अदा*पर* | H1 | - | D | उद्+आ+इ | "ऊपर जाना, उठना, उन्नत होना" | स्तनकुड्मलम् | 110693 | नपुं* | H1 | - | NP | - | स्त्री के उठते हुए स्तन | त्यक्तजीवित | 34849 | वि* | H2 | त्यक्त-जीवित | NV | - | "प्राण देने के लिए तैयार, कोई भी जोखिम उठाने को तैयार" | मूषणम् | 66736 | नपुं* | H1 | - | NP | मूष् + ल्युट् | "चुराना, चुपके से खिसका लेना, उठा लेना" | उद्भ्रमणम् | 14944 | नपुं* | H1 | - | NP | उद्+भ्रम्+ल्युट् | "उगना, उठना" | हसनी | 97496 | स्त्री* | H1 | - | NP | हसन + ङीप् | "उठाऊ चूल्हा, कांगड़ी" | किण्वम् | 21084 | नपुं* | H1 | - | NP | "कण् - क्वन्, इत्वम्" | "मदिरा के निर्माण में खमीर उठाने वाला बीज, या औषधि" | उत्कूर्चक | 100229 | "वि*, प्रा* स*" | H1 | - | NV | - | जो कूंची अपने हाथ में लेकर ऊपर को उठाये हुए है। | व्युत्थितिः | 81859 | स्त्री* | H1 | - | NP | वि + उ + स्था + क्तिन् | (हाथी को) उठाना | दाहात्मक | 36466 | वि* | H2 | दाहः-आत्मक | NP | - | जल उठने वाला | उच्चुम्ब् | 100204 | भ्वा*पर* | H1 | - | D | - | मुख ऊपर उठाकर चुम्बन करना | फक्क् | 56510 | "भ्वा*पर*<फक्कति>,<फक्कित>" | H1 | - | D | - | फूल उठना | सान्नहनिक | 91320 | वि* | H1 | - | NV | सन्नहन + ठक् | "शस्त्र उठाने के लिए कहने वाला, युद्ध के लिए तैयार होने को प्रोत्साहन देने वाला" | अपस्फुर् | 95993 | तुदा* पर* | H2 | अप-स्फुर् | D | - | चमक उठना | प्रत्युत्थित | 53489 | भू* क* कृ* | H1 | - | KN | प्रति+उद्+स्था+क्त | मिलने के लिए उठा हुआ | अभ्युत्थानम् | 6047 | नपुं* | H1 | - | NP | अभि+उत्+स्था+ल्युट् | "उठना,उन्नति,संपन्नता,मर्यादा" | उद्दण्डित | 100378 | वि* | H1 | - | KNV | उद्+दण्ड्+क्त | "उठाया हुआ, भक्त" | मद्यबीजम् | 106642 | नपुं* | H1 | - | NP | - | खमीर उठाने के लिए औषधि | भारसह | 59713 | वि* | H2 | भार+सह | NV | - | "जो अधिक बोझा उठा सके, (अतः) बहुत मजबूत, बलवान्" | पुनरुत्थानम् | 50129 | नपुं* | H2 | पुनर्-उत्थानम् | NP | - | "फिर उठना, पुनर्जीवित करना" | रेणूत्पातः | 107699 | पुं* | H2 | रेणुः-उत्पातः | NP | - | धूल का उठना | मुक्तासन | 66028 | वि* | H2 | मुक्त-आसन | NV | - | अपने आसन से उठा हुआ | निर्धूननम् | 103991 | नपुं* | H1 | - | NP | निर्+धूञ्+ल्युट् | "दीर्घ निश्वास, लहरों की भाँति उठना गिरना" | उत्तोरण | 14170 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | उठी हुई या खड़ी मेहराबों आदि से सजा हुआ | उद्ग्रीविन् | 14721 | "वि, पुं*" | H1 | - | NV | उन्नता ग्रीवा उद्ग्रीवा+इनि | गर्दन ऊपर उठाये हुए | उपार्जनम् | 16088 | नपुं* | H1 | - | NP | "उप+अर्ज्+ल्युट्, युच् वा" | "कमाना, लाभ उठाना" | उच्छ्रि | 86051 | भ्वा* उभ* | H2 | उद्-श्रि | D | - | "ऊपर उठाना, उन्नत करना, ऊँचा करना " | अंधकः | 111220 | पुं* | H1 | - | NS | अन्ध+कन् | "एक राक्षस का नाम जो कश्यप और दिति का पुत्र था। इसकी शिव ने हत्या कर दी थी। इसके वर्णन मिलता है कि एक हजार भुजाएँ और सिर थे,२००० आँखें और पैर थे। वह अंधों की भाँति चलता था इस लिए लोग उसे अंधक कहते थे,चाहे वह पूर्णतः ठीक ठीक देख सकता था। जब उसने स्वर्ग से पारिजात वृक्ष उठा कर ले जाने का प्रयत्न किया तो शिव ने उसकी हत्या कर दी।" | उत्पाद | 14244 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | - | जिसके पैर ऊपर उठे हों | अवबुध् | 58162 | भ्वा* उभ* | H2 | अव-बुध् | D | - | "उठाना, जगाना" | उन्मेषः | 15180 | पुं* | H1 | - | NP | "उद्+मिष्+घञ्, ल्युट् वा" | "जाग जाना, उठना, दिखलाई देना, प्रकट होना" | उत्सर्पिन् | 100307 | वि* | H1 | - | NV | उत्+सर्प+णिनि | "बढ़ाने वाला, उठाने वाला" | शपथपूर्वकम् | 109425 | अ* | H1 | - | AV | - | शपथ उठाकर | पर्युदञ्चनम् | 47657 | नपुं* | H1 | - | NP | परि + उध् + अञ्च् + ल्युट् | "उधार लेना, उठाना, उद्धार करना" | विमानवाहः | 108990 | पुं* | H2 | विमानः-वाहः | NP | - | पालकी उठाने वाला | प्रत्युद्या | 68408 | अदा* पर* | H2 | प्रत्युद्-या | D | - | "(आदर स्वरूप) उठकर मिलना, अभिवादन करना, सत्कार करना" | धूमोद्गारः | 40090 | पुं* | H2 | धूमः- उद्गारः | NP | - | धुआँ या वाष्प उठना | शोणाम्बुः | 85601 | पुं* | H2 | शोण-अम्बुः | NP | - | एक प्रकार का बादल जो प्रलय के समय उठता है | उत्कन्धर | 13877 | "वि*, ब* स*" | H1 | - | NV | उन्नतः कन्धरोऽस्य | "गर्दन ऊपर उठाये हुए, उद्ग्रीव" | उद्बोधः | 14899 | पुं* | H1 | - | NP | उद्+बुध्+णिच्+ल्युट् | "प्रत्यास्मरण करना, उठाना" | उत्क्षपक | 13961 | वि* | H1 | - | NV | उद्+क्षिप्+ण्वुल् | "ऊपर फेंकने या उछालने वाला, उन्नत करने वाला या ऊपर उठाने वाला" | बाहूत्क्षेपम् | 57827 | अव्य* | H2 | बाहुः-उत्क्षेपम् | AV | - | भुजाओं को ऊपर उठा कर | विस्फूर्जथुः | 79350 | पुं* | H1 | - | NP | - | "(लहरों का) आन्दोलित होना, लहरों का उठना" | प्रबोधनी | 53926 | स्त्री* | H1 | - | NP | प्रबोधन+ ङीप् | देव उठनी एकादशी | उत्थानैकादशी | 14190 | स्त्री* | H2 | उत्थानम्-एकादशी | NS | - | "देव-उठनी कार्तिक-सुदी एकादशी, विष्णुप्रबोधिनी" | उदञ्चित | 100324 | वि* | H1 | - | NV | उद्+अञ्च्+ णिच्+क्त | उठाया हुआ | समुद्गिरणम् | 89770 | नपुं* | H1 | - | NP | सम् + उद् + गृ + ल्युट् | "उठाना, ऊपर करना" | अधिरुह् | 70445 | भ्वा* पर* | H2 | अधि-रुह् | D | - | "उन्नत होना, ऊपर उठाना, बिठाना " | पार्ण | 48797 | वि* | H1 | - | NV | पर्ण + अण् | पत्तों से उठाया हुआ | व्युत्थानम् | 81853 | स्त्री* | H1 | - | NP | वि + उ + स्था + ल्युट् | (हाथी को) उठाना | उन्मेषणम् | 15184 | नपुं* | H1 | - | NP | "उद्+मिष्+घञ्, ल्युट् वा" | "जाग जाना, उठना, दिखलाई देना, प्रकट होना" | प्रत्युद्गमनम् | 53502 | नपुं* | H1 | - | NP | प्रति+उद्+गम्+ल्युट् | अतिथि का सत्कार करने के लिए अपने आसन से उठना या बाहर जाना | उद्धा | 97608 | जुहो* आ* | H2 | उद्-हा | D | - | "चढ़ाना, (भौंहें) उठाना, सिकोड़ना " | उद्बृह् | 58243 | भ्वा* पर* | H2 | उद्-बृह् | D | - | "उठाना, ऊपर को करना" | उद्गल | 100364 | "वि*,न*ब*" | H1 | - | NV | - | गर्दन ऊपर उठाये हुए | कृतोद्वाह | 22754 | वि* | H2 | कृत-उद्वाह | NV | - | हाथ उपर उठाकर तपस्या करने वाला | दाह्यम् | 36480 | नपुं* | H1 | - | KN | दह् + ण्यत् | जल उठने के योग्य | झगझगायति | 32675 | ना*धा*पर* | H1 | - | D | - | "चमक उठना, दमकना, जगमगाना, चमचमाना" | विनिवेशनम् | 108879 | नपुं* | H1 | - | NP | विनि+विश्+णिच्+ल्युट् | "उठान,निर्माण" | सम्भृ | 110247 | जुहो*उभ* | H1 | - | D | - | उठाना | वीचिक्षोभ | 109209 | पुं* | H1 | - | NP | - | "लहरों का उठना,तरंगों से उत्पन्न हलचल" |
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