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संस्कृत
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संस्कृतम् इति एवम् भविष्यति । | पा-४,३.२५; अकि-२,३०७.२-१८; रो-३,७००-७०१; भा-१४/३६ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | पञ्चसु कपालेषु संस्कृतः पञ्चकपाल्याम् संस्कृतः पञ्चकपालः दशकपालः इति । | पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-३४/४१ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | पञ्चसु कपालेषु संस्कृतः पञ्चकपालः । | पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-९/४१ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | एवम् पञ्चसु कपालेषु संस्कृतः इति विगृह्य पञ्चकपालः इति भविष्यति । | पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-३८/४१ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | तत् यथा संस्कृतम् अन्नम् गुणवत् इति उच्यते । | पा-५,१.११९.२; अकि-२,३६६.४-३६८.४; रो-४,८३-९३; भा-५०/१०० | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | संस्कृतम् हि नाम तत् भवति यत् ततः एव अपकृष्य अभ्यवह्रियते । | पा-४,३.२५; अकि-२,३०७.२-१८; रो-३,७००-७०१; भा-१७/३६ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | संस्कृत्य संस्कृत्य पदानि उत्सृज्यन्ते । | पा-१,१.१.३; अकि-१,३७.२५-४०.१७; रो-१,१२५-१३३; भा-७६/१३९ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | पञ्चकपाल्याम् संस्कृतः इति विगृह्य वाक्यम् एव । | पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-३९/४१ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) | सकृत् च असौ उपनीतः संस्कृतः भवति | पा-६,१.८४.२; अकि-३,५७.७-५८.१७; रो-४,३९९-४०२; भा-३२/५९ | प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है) |
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