"महाभाष्य-अन्वेषण-पृष्ठ"



Author : अनिल कुमार आर्य (Anil Kumar Arya)
Center/School : Sanskrit Center, JNU
Course : Computer Applications for Sanskrit, Special Center for Sanskrit Studies,J.N.U.
Semester/Year : Winter13
Under the supervision of : Dr. Girish Nath Jha (डॉ. गिरीशनाथ झा)

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Results for ' संस्कृत '


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संस्कृतम् इति एवम् भविष्यति ।पा-४,३.२५; अकि-२,३०७.२-१८; रो-३,७००-७०१; भा-१४/३६प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
पञ्चसु कपालेषु संस्कृतः पञ्चकपाल्याम् संस्कृतः पञ्चकपालः दशकपालः इति ।पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-३४/४१प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
पञ्चसु कपालेषु संस्कृतः पञ्चकपालः ।पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-९/४१प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
एवम् पञ्चसु कपालेषु संस्कृतः इति विगृह्य पञ्चकपालः इति भविष्यति ।पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-३८/४१प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
तत् यथा संस्कृतम् अन्नम् गुणवत् इति उच्यते ।पा-५,१.११९.२; अकि-२,३६६.४-३६८.४; रो-४,८३-९३; भा-५०/१००प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
संस्कृतम् हि नाम तत् भवति यत् ततः एव अपकृष्य अभ्यवह्रियते ।पा-४,३.२५; अकि-२,३०७.२-१८; रो-३,७००-७०१; भा-१७/३६प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
संस्कृत्य संस्कृत्य पदानि उत्सृज्यन्ते ।पा-१,१.१.३; अकि-१,३७.२५-४०.१७; रो-१,१२५-१३३; भा-७६/१३९प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
पञ्चकपाल्याम् संस्कृतः इति विगृह्य वाक्यम् एव ।पा-४,१.८८.२; अकि-२,२३९.९-२४०.६; रो-३,५५४-५५६; भा-३९/४१प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)
सकृत् च असौ उपनीतः संस्कृतः भवतिपा-६,१.८४.२; अकि-३,५७.७-५८.१७; रो-४,३९९-४०२; भा-३२/५९प्र. सू. -nn = प्रत्याहार सूत्र संख्या, प-nn = पस्पषाह्निक संख्या, पा-n,n.n = पाणिनि-अध्याय,पद.सूत्र, अकि-n,n.n = अभ्यंकर/कीलहार्न संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, रो-n,n.n = रोहतक संस्करण-भाग,पृष्ठ.पंक्ति, भा-n/N = कुल N का nवाँ भाग (बड़ी व्याख्या को छोटे-छोटे N समान विषयगत (thematic) भागों में बांटकर रखा गया है)