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संस्कृत
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Shloka |
Reference |
Translation |
एकं शास्तारमासाद्य शब्देनैकेन संस्कृताः । नाना व्यवसिताः सर्वे सर्पदेवर्षिदानवाः ॥ | 14026011 | इस प्रकार सर्प, देवता, ऋषि और दानव - ये सब एक ही उपदेशक गुरु के पास गये थे और एक ही शब्द के उपदेश से उनकी बुद्धि का संस्कार हुआ तो भी उनके मन में भिन्न-भिन्न प्रकार के भाव उत्पन्न हो गये । |
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