Index Search for 'ज्ञेयो' |
Shloka: | आविशन्ति च यं यक्षाः पुरुषं कालपर्यये । उन्माद्यति स तु क्षिप्रंज्ञेयो यक्षग्रहस्तु सः ॥ |
Reference: | 3.37.219.0.51(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#51) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | एकोनविंशत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|