Index Search for 'ज्ञेयो' |
Shloka: | प्राणानां संनिपातात्तु संनिपातः प्रजायते । ऊष्मा चाग्निरितिज्ञेयो योऽन्नं पचति देहिनाम् ॥ |
Reference: | 3.37.203.0.22(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>त्र्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#22) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | त्र्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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