Index Search for 'ज्ञास्यन्ति' |
Shloka: | तवाज्ञया पार्थिव निर्विशङ्का विहाय मानं विचरन्वनानि । समीपवासेन विलोभितास्तेज्ञास्यन्ति नास्मानपकृष्टदेशान् ॥ |
Reference: | 3.36.173.0.9(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आजगरपर्व>त्रिसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#9) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आजगरपर्व |
Adhyaya: | त्रिसप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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