Index Search for 'ज्ञानमल्पकालेन' |
Shloka: | द्वारपाल उवाच - वृद्धेभ्य एवेह मतिं स्म बाला गृह्णन्ति कालेन भवन्ति वृद्धाः । न हिज्ञानमल्पकालेन शक्यं कस्माद्बालो वृद्ध इवावभाषसे ॥ |
Reference: | 3.33.133.0.10(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>तीर्थयात्रापर्व>त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133)>श्लोक#10) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | तीर्थयात्रापर्व |
Adhyaya: | त्रयस्त्रिंशदधिकशततमोऽध्यायः (133) |
Akhyana: | |
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