Index Search for 'ज्ञात्वा' |
Shloka: | धर्ममेव गुरुंज्ञात्वा करोमि द्विजसत्तम । अतन्द्रितः सदा विप्र शुश्रूषां वै करोम्यहम् ॥ |
Reference: | 3.37.204.0.25(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>चतुरधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#25) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | चतुरधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
Search other sources: | search this word on other online resources
|