Index Search for 'ज्ञात्वा' |
Shloka: | स तुज्ञात्वा द्विजं प्राप्तं सहसा संभ्रमोत्थितः । आजगाम यतो विप्रः स्थित एकान्त आसने ॥ |
Reference: | 3.37.198.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>अष्टनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | अष्टनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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