Index Search for 'ज्ञातुं' |
Shloka: | इच्छामि पुण्डरीकाक्षज्ञातुं त्वाहमनिन्दित । इह भूत्वा शिशुः साक्षात्किं भवानवतिष्ठते । पीत्वा जगदिदं विश्वमेतदाख्यातुमर्हसि ॥ |
Reference: | 3.37.186.0.126(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#126) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | षडशीत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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