Index Search for 'ख्याप्यं' |
Shloka: | यथा त्विदं मया प्राप्तं भुजंगत्वमरिंदम । तदवश्यं मयाख्याप्यं तवाद्य शृणु सत्तम ॥ |
Reference: | 3.36.176.0.11(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>आजगरपर्व>षट्सप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#11) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | आजगरपर्व |
Adhyaya: | षट्सप्तत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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