Index Search for 'खात्वा' |
Shloka: | सप्तभिर्दिवसैःखात्वा दृष्टो धुन्धुर्महाबलः । आसीद्घोरं वपुस्तस्य वालुकान्तर्हितं महत् । दीप्यमानं यथा सूर्यस्तेजसा भरतर्षभ ॥ |
Reference: | 3.37.195.0.20(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>मार्कण्डेयसमस्यापर्व>पञ्चनवत्यधिकशततमोऽध्यायः>श्लोक#20) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | मार्कण्डेयसमस्यापर्व |
Adhyaya: | पञ्चनवत्यधिकशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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