Index Search for 'खाण्डवप्रस्थमाविशन्' |
Shloka: | वैशंपायन उवाच - प्रतिगृह्य तु तद्वाक्यं नृपं सर्वे प्रणम्य च । प्रतस्थिरे ततो घोरं वनं तन्मनुजर्षभाः । अर्धं राज्यस्य संप्राप्यखाण्डवप्रस्थमाविशन् ॥ |
Reference: | 1.15.199.0.26(आदिपर्व>राज्यलम्भपर्व>एकोनद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#26) |
Parva: | आदिपर्व |
Upaparva: | राज्यलम्भपर्व |
Adhyaya: | एकोनद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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