Index Search for 'खल्वनेनैव' |
Shloka: | अश्वपतिरुवाच - कार्येणखल्वनेनैव प्रेषिताद्यैव चागता । तदस्याः शृणु देवर्षे भर्तारं योऽनया वृतः ॥ |
Reference: | 3.42.278.0.5(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>अष्टसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#5) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | अष्टसप्तत्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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