Index Search for 'खरेणासीन्महद्वैरं' |
Shloka: | वसतस्तस्य रामस्य ततः शूर्पणखाकृतम् ।खरेणासीन्महद्वैरं जनस्थाननिवासिना ॥ |
Reference: | 3.42.261.0.41(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>एकषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#41) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | एकषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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