Index Search for 'खरस्वनाः' |
Shloka: | तस्यास्तद्वचनं श्रुत्वा राक्षस्यस्ताःखरस्वनाः । आख्यातुं राक्षसेन्द्राय जग्मुस्तत्सर्वमादितः ॥ |
Reference: | 3.42.264.0.52(वनपर्व (आरण्यकपर्व)>द्रौपदीहरणपर्व>चतुःषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः>श्लोक#52) |
Parva: | वनपर्व (आरण्यकपर्व) |
Upaparva: | द्रौपदीहरणपर्व |
Adhyaya: | चतुःषष्ट्यधिकद्विशततमोऽध्यायः |
Akhyana: | |
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